Thursday, August 31, 2023

कभी फुर्सत मिले तो सोचना ! -मंजुल भारद्वाज

 कभी फुर्सत मिले तो सोचना !

-मंजुल भारद्वाज

तुम स्वयं 

एक सम्पति हो 

सम्पदा हो 

इस पितृसत्तात्मक व्यवस्था में 

कभी पिता की 

कभी भाई की 

कभी बेटों की !

आदि काल से आज तक 

युद्ध 

तुमको हासिल कर जीते गए 

हार गए तो तुम्हें 

जीते हुए को सौंपकर 

तख़्त-ओ-ताज बचाए गए !

रिश्ते भावनात्मक जाल हैं 

जिससे पितृसत्तात्मक व्यवस्था

शोषण करती है तुम्हारा 

कभी देखो रिश्तों की 

परत खोलकर 

उनमें गज़ बजाती कीडनाल 

नज़र आएगी !

यह किताब पढ़कर 

यह बाज़ार में बदन बेचकर 

तुम स्वतंत्र नहीं हुई 

उल्टा और गहरे 

झेरे में फंस गई हो !

कभी अंदाज़ा लगाया है 

शोषण,अमानवीयता के 

अंधे गह्वर में 

युगों –युगांतर में फंसी हुई हो तुम !

पितृसत्तात्मक व्यवस्था के श्रुंगार से सजी 

वो चंद्रयान भेजने वाली

तुमने मणिपुर में 

उस महिला का बयान सुना 

उस महिला ने कहा 

मेरे बेटे ने, मेरी कौम के लिए 

महिलाओं को निर्वस्त्र करके 

सरेआम घुमाया !

माँ का यह कैसा रूप है?

सोचा?

हाँ एक ने कहा तो ... 

सब एक जैसी थोड़े ना है ...

दहेज़ में जलने वाली 

भूखा मरने वाली 

लड़के को मर्द बनाने वाली 

लड़का –लड़की में भेद करने वाली 

यह एक एक करके अनेक हो जाती हैं !

कभी सांस लो 

शरीर के अलावा 

मुक्त इंसान बनकर !

धर्म ने, जात ने तुम्हें 

इंसान नहीं माना

पर संविधान ने 

तुम्हें इंसान भी माना

और बराबरी का संवैधानिक हक़ भी दिया !

पर 70 साल में तुमने 

कभी संविधान को नहीं समझा 

बस धर्म के कर्मकांडों में उलझी रही 

ऐसे बेटों को जनती रही 

जो कौम के लिए 

महिलाओं से बलात्कार करें !

आधी आबादी हो 

लोकतंत्र में हो 

क्यों नहीं 

अपने बहुमत का 

परचम संसद में लहराती !

कभी फुर्सत मिले तो सोचना ...

मनुष्य के अंदर धर्म कितना ज़हर भरता है - मंजुल भारद्वाज

मनुष्य के अंदर धर्म

कितना ज़हर भरता है

वो इस ज़हर से 

मोहब्बत को मारता है

प्रेम से बड़ा है वर्ण

प्रेम के हत्यारे हैं

जात और धर्म 

इंसानियत के शत्रु हैं !

क्या कोई मिटा पाया है / पायेगा 

प्रेम के शत्रु को ?

या 

इतिहास इसी तरह 

मनुष्य के ज़हर से 

प्रेम की हत्या का 

साक्षी बनता रहेगा !

- मंजुल भारद्वाज

गांधी पथ वहीं ठहरा रहा .... -मंजुल भरद्वाज

 गांधी पथ वहीं ठहरा रहा ....

-मंजुल भरद्वाज 


नीति के लिए 

संघर्ष करने वाले 

धड़े,गुट,गिरोह में 

विभाजित हो 

पथभ्रष्ट हो गए !

गांधी गांधी जपते 

सत्यवीर हो गए 

अपनी सुविधा से 

गांधी की आड़ में छुप गए !

अवसर देख गांधी को 

कुटिया में छोड़ आए !

गांधी पथ 

किसी अदालत पर 

खत्म नहीं होता 

अपितु अदालतों के गुरुर 

सर्वशक्तिमान ताक़त के 

मकबरे को 

अंतरात्मा के विवेक से रोशन करता है !

गाँधी उस विवेक का सार्वभौम स्वरूप है 

जो जन पीड़ा की आहुति से 

प्रज्ज्वलित होता है !

आत्म सुख से नहीं 

जन पीड़ा की वेदना को 

जीवन में उतार लेना 

जन में विश्वास

जन के विश्वास की धुरी है 

गांधी !

गांधी ने अपने  

सत,सूत और सूत्र से 

बुना था भारत का जनमत 

जिस पर खड़ी है 

भारत की बुनियाद !

आज भारत की बुनियाद 

ध्वस्त हो रही है 

जनमत मूर्छित है 

जरूरत मात्र मीलार्ड के 

आदेश पालन भर की नहीं है

जरूरत मूर्छितकोर्ट की 

अंतरात्मा जगाने की है !

गांधी ने वही किया था 

उसी से गुलाम जनता का डर भागा था 

सत्याग्रह की बुनियाद है निडर होना 

जनमानस का भयमुक्त होना !

आज गांधी बस एक सन्दर्भ बने 

गाँधी पथ ... 

वहीं ठहरा रहा 

खैर हर सत्याग्रही को 

अपने अपने हिस्से का 

पथ गमन करना है !

गांधी राष्ट्रपिता है 

इसलिए अपने इस्तेमाल से 

दुखी नहीं होते 

वो मुस्कुरा देते हैं !

हम गाँधी को अपनी तरह समझ लेते हैं 

अपना अपना गांधी बाँट लेते हैं

समय की पुकार है 

गांधी को समग्र समझने की 

जीवन में गांधी को जीने की 

हे गांधी !

#गांधी #मंजुलभरद्वाज

एक और भगवान का घर ! - मंजुल भारद्वाज

एक और भगवान का घर !

- मंजुल भारद्वाज 


कहा जाता है 

हर जगह ईश्वर है

फ़िर उसे झूठला दिया जाता है

मंदिर ,मस्जिद,गिरजाघर को

भगवान का घर बताया जाता है 

यह बताने वाला कौन है?

उसकी बात मानने वाले कौन हैं?

बताने वाला शोषक है

मानने वाले शोषित !

शोषक और शोषित दोनों

भगवान के जन्मदाता हैं

शोषक भगवान के नाम से 

शोषण करता है

शोषित शोषण से मुक्ति के लिए

भगवान के सामने हाथ फैलाता है

ना शोषक शोषण बंद करता है

ना शोषित शोषण मुक्त होता है

हां मंदिर,मस्जिद,गिरजाघर

मालामाल हो जाते हैं

यहां कोई सवाल नहीं पूछता

भगवान को दौलत की क्या ज़रूरत

पर सवाल हक़ की आवाज़ है

और भगवान के खिलाफ़

कौन आवाज़ उठाता है?

एक विशेष जगह को 

भगवान का घर बताने वाला 

शोषक है ब्राह्मण

जो  ईश्वर,वर्ण,धर्म के नाम से

शोषणकारी व्यवस्था का निर्माण करता है

गरीब अपना पेट काट कर

भगवान के घर की दानपेटी भरता है

दानपेटी ब्राह्मण को अपराजेय बनाती है

ब्राह्मण अपने शोषण की नीति बनाता है

नियम बनाता है

भगवान के घर पर एकाधिकार रखता है

शोषित ब्राह्मण के पास जाकर

शोषण मुक्ति के उपाय पूछता है

ब्राह्मण उसे भगवान के घरों की

अनंतकालीन प्रक्रिमा का उपाय बताता है

शोषित अनंतकाल से भगवान के घरों की परिक्रमा कर 

दानपेटी भर रहा है

ब्राह्मण अमर हो रहा है

शोषण बढ़ रहा है !

शोषित भगवान के घर की 

वास्तुकला का गुणगान करते है

वास्तु भव्य होती जा रही है

शोषण चक्र बढ़ता जा रहा है

जितना शोषण बढ़ रहा है

उतना ही शोषित भगवान के घर की 

परिक्रमा कर रहा है

एक एक ईंट लेकर 

भगवान का घर बना रहा है

शोषित की पीढ़ी दर पीढ़ी 

दान पेटी भर रही है

भगवान के घर की सीढ़ियां घस गई

पर शोषण नहीं मिटा

शोषित भगवान के घर को 

शोषण मुक्ति की उम्मीद मानता है

उम्मीद उसे जिलाए रखती है

शोषण मुक्त नहीं करती !

भगवान की इन सीढ़ियों पर

ना जाने कितनी सिसकती

तड़पती उम्मीदों

दुआओं

मन्नतों ने दम तोड़ा है

पर शोषण नहीं मिटा

हां शोषक के अच्छे दिन आ गए

दानपेटी मतपेटी में बदल गई

संविधान को सलीब पर चढ़ा

न्याय देने वाले ने

एक और मंदिर बनाने का फैसला दे

ब्राह्मण को पुन: अपराजेय बना दिया !

शिक्षित कौन है ? - मंजुल भारद्वाज

शिक्षित कौन है ?

- मंजुल भारद्वाज


शिक्षित कौन है?

पढ़ना लिखना सीखकर

धर्म 

वर्णवाद 

जात को मानने वाले ?

शिक्षित कौन है?

धर्मांध हो

मजहबी नफ़रत फैलाने वाले

धर्म पर राजनीति करने वाले

धर्म की राजनीति करने वालों को

सत्ता पर बिठाने वाले ?

शिक्षित कौन है?

औरत को देवी बना

पितृसत्तात्मक समाज के पैरोकार

 पितृसत्तात्मक समाज में

 शोषित होने वाले

मां,बहन,बेटी का जिस्म

नोचने और बेचने वाले?

कौन है शिक्षित?

विज्ञान से इजाद तकनीक 

कंप्यूटर ,स्मार्टफोन पर 

ई - प्रसाद,पूजा कर

मन्नत मांगने वाले ?

कौन हैं शिक्षित?

पशु को माता मानने वाले

पशु के नाम पर 

मनुष्य का कत्ल करने वाले

पशुओं की बलि देने वाले?

कौन है शिक्षित?

सच को नहीं

झूठ को सफलता का साधन समझने वाले

पाखंड ,अंधविश्वास

अंधश्रद्धा - श्रद्धा के जाल में फंसने वाले ?

कौन है शिक्षित?

भारत माता की जय बोल

सीता की अग्नि परीक्षा लेने वाले

बलात्कारियों को माला पहना

संस्कारी बताने वाले?

कौन है शिक्षित?

लोकतंत्र में मौलिक अधिकार पाने वाले

राजनीति को गंदा समझने वाले

आईएएस, आईपीएस बनकर

एक चुने हुए नामजद

तड़ीपार 

अपराधी के हुक्म की तामील कर

सलाम ठोकने वाले ?

कौन है शिक्षित ?

भ्रष्टाचार के आंदोलन में शामिल हो

अपने बच्चों को

स्कूलों में घूस देकर 

एडमिशन दिलाने वाले ?

कौन है शिक्षित ?

गांधी को मारने वाले

गांधी को पाखंडी कहने वाले

गांधी के विचार नहीं 

फोटो को पूजने वाले

बुलबुल की सवारी करने वाले को वीर समझने वाले ?

कौन है शिक्षित?

संविधान सम्मत 

हम भारत के लोग 

विचार को मानने वाले

भारत के मालिक 

राजनेताओं को भारत का मालिक समझ

जीवन भर उनके सामने गिड़गिड़ाने वाले ?

केमिकल लोचा है भाई ! - मंजुल भारद्वाज

केमिकल लोचा है भाई !

- मंजुल भारद्वाज


मुन्ना भाई ने 

बापू के बारे में 

चार बातें पढ़ी 

और 

मुन्ना गांधीगिरी करने लगा

मुन्ना को विश्वास हो गया 

बापू के बारे में वो सब जानता है 

बापू उसके साथ है  

सर्वशक्तिमान ने मुन्ना के भ्रम को तोड़ दिया 

उसने सरेआम मुन्ना से 

बापू के बारे में वो सवाल पूछे 

जिसके बारे में मुन्ना ने नहीं पढ़ा था 

मुन्ना के दिमाग में 

केमिकल लोचा हो गया 

पढ़े लिखे लोगों को 

गांधी मुन्ना की तरह 

समझ आता है 

पढ़े लिखे लोग 

इसी भ्रम के साथ जीते हैं 

मुन्ना की तरह 

उनका भ्रम नहीं टूटता

मुन्ना की तरह उनके दिमाग में 

केमिकल लोचा भी नहीं होता 

केमिकल लोचा 

गाँधी को पढ़ने से नहीं

गांधी को जीने से होता है 

गांधी किताबों में नहीं 

ज़िंदगी जीने से समझ आता है! 

#हेगांधी #मंजुलभारद्वाज

अंधकार, अन्धकार, अंधकार ! -मंजुल भारद्वाज

 अंधकार, अन्धकार, अंधकार !

-मंजुल भारद्वाज

अंधकार, अन्धकार, अंधकार ! -मंजुल भारद्वाज


एक सनकी प्राणी 

जो मनुष्य के भेष में 

अब तक चुनाव जीतता आया है 

अब चुनाव हारने वाला है 

चुनाव हारने की ख़बर से 

वो डरा हुआ है !

इस डर से

वो दिमागी संतुलन खो चुका है 

अब वो 

आपके मौलिक अधिकार छीन सकता है 

बिलकुल नोट बन्दी की तरह 

याद कीजिये आपका अपना पैसा होते हुए भी आप 

एक एक पैसे को मोहताज़ हो गए थे !

यह आपकी धार्मिक आज़ादी छीन सकता है 

बिलकुल देश बंदी की तरह 

जैसे आप अपने घरों में कैद थे 

एक एक सांस के लिए तरस रहे थे 

याद हैं ना ऑक्सीजन ऑक्सीजन !

आपकी बिजली काट दी जाएगी 

इन्टरनेट बंद कर दिया जाएगा 

बिलकुल मणिपुर और कश्मीर की तरह 

फिर आपके परिवार पर 

और आप पर वही बीतेगी 

जो मणिपुर और कश्मीर में बीत रही है !

भारतीयता को छोड़ 

हिन्दू होने पर गर्व करने वालो 

अब आपसे वोट देने का अधिकार भी 

छिन सकता है 

एक देश, एक चुनाव 

एक ही बार चुनाव 

अंतिम चुनाव 

एक देश, एक व्यक्ति 

बस बाकी उस व्यक्ति की भक्ति !

संविधान 

कैसा संविधान 

मनुस्मृति

वर्णवाद 

हिन्दू राष्ट्र का निर्माण 

एक हज़ार साल तक चलेगा !

कौन बचाएगा 

सुप्रीमकोर्ट ?

सुप्रीमकोर्ट खुद अपने को बचा ले 

सबसे लाचार और शक्तिहीन 

सुप्रीमकोर्ट ही है 

एक अदना सा विधान सभा अध्यक्ष

सुप्रीमकोर्ट को अपनी जुते की नोंक पर रखता है 

याद करो महाराष्ट्र कांड !

सुप्रीमकोर्ट ने क्या किया 

राफ़ेल घोटाले में 

नोट बन्दी घोटाले में 

एक पत्थर को प्रतिवादी मानकर

राम मंदिर का फैसला सुनाकर

संविधान की हत्या वाले सुप्रीमकोर्ट ने 

पैदल चले मज़दूरों के बारे में 

47 लाख लोग सरकार ने मौत के घाट उतार दिए 

लोगों के बारे में क्या किया ?

निल बटे सन्नाटा !

आंबेडकर को मानने वाले 

आम्बेडकर के संविधान सभा में 

संविधान पटल पर रखते हुए दिए भाषण को भूल गए 

‘संविधान को लागू करने वाले लोग बुरे हुए तो 

संविधान कितना भी अच्छा क्यों ना हो 

अंतत निर्रथक साबित होगा’ ! 

सत्य,अहिंसा और विवेक 

जगाने वाले गांधी को 

खारिज़ कर 

क्या मिला आपको ?

स्मार्ट फ़ोन 

इन्टरनेट 

यू tube

सोशल मीडिया 

एक झटके में बंद !

फिर क्या करोगे ?

अरे जो भारतीय होने पर गर्व नहीं कर सके 

वो कर भी क्या सकते हैं ?

वो मरते रहेंगे 

धर्मांध सत्ता 

हिन्दू राष्ट्र 

उनका कत्ल करता रहेगा 

वो राम मंदिर में जयकारा 

लगाते रहेंगे 

युगों युगों तक !

अमृत काल, अमृत काल 

अंधकार, अन्धकार, अंधकार !

Tuesday, August 29, 2023

सच बोलिए! -मंजुल भारद्वाज

 सच बोलिए!

-मंजुल भारद्वाज 

सच के बदले 

मिलती है मौत 

यह मौत सच का 

ईनाम होती है 

आदि से आज तक 

इतिहास में दर्ज़ है 

सच बोलने वाला 

चाहे सुकरात हो

मंसूर हो या 

गांधी 

सत्ता के अंधियारे में 

सच बोलना जुर्म है 

जिसकी सजा मौत है 

सत्ता हमेशा सच से कांपती है 

सच से मनुष्यता की जीत होती है 

तानाशाहों की हार 

सच का साथी है विवेक 

इसलिए सच बोलिए 

मनुष्यता के लिए 

मानवता के लिए 

सच ही प्राण है 

आज के अंहकार 

और 

अंधकार से आपको 

सिर्फ़ सच बचा सकता है 

इसलिए सच बोलिए!

#सच #मौत #मंजुलभारद्वाज


पहर दर पहर -मंजुल भारद्वाज

पहर दर पहर 

-मंजुल भारद्वाज

पहर दर पहर  -मंजुल भारद्वाज

पहर दर पहर 

आँखें 

राह तकती हैं 

जाने सूनी राह में 

किसका इंतज़ार करती हैं !

कान अपने आप 

किसी आहट के 

सुनने की प्रतीक्षा करते हैं 

अपने आप आहट का 

निर्माण करते हैं !

एक पुर-कशिश 

गरमाहट से 

रोआँ रोआँ खिल उठता है 

जाने यह कौन है 

किसका अहसास है 

जो रूह में जा बसता है !


रक्षा - बंधन -मंजुल भारद्वाज

 रक्षा - बंधन 

-मंजुल भारद्वाज

रक्षा - बंधन   -मंजुल भारद्वाज

रक्षा – बंधन की धूम 

बाज़ार भावनाएं बेच कर 

जेब खाली करवाकर 

मीठे यानि मुनाफ़े का 

जश्न मना रहा है !

रक्षा – बंधन

सुना है संस्कार है

किस बात का 

जुमलों के भावनात्मक दोहन का 

भूखी रहेगी 

अन्नपूर्णा के जुमले का 

एक एक पैसे को मोहताज़ रहेगी

लक्ष्मी के जुमले का 

सम्पति से बेदखल कर 

दो दो घर के जुमले का 

अनपढ़ रहेगी 

पर सरस्वती के जुमले का !

आज फ़िल्मी उत्सव है

भैया मेरे राखी के 

बंधन को निभाना 

जब भैया राखी के बंधन को निभाता है तो 

भारत में हर 2 मिनट में 

बलात्कार कौन करता है?

अरे आज ज़माना बदल गया है 

देश बदल गया है 

हमारे संस्कार, संस्कृति पर 

दुनिया गर्व करती है 

चंद्रयान उतार दिया चाँद पर 

और कितना विकास चाहिए 

अरे कुछ देश द्रोही 

हमारी संस्कृति के दुश्मन हैं 

भारत में बहन सुरक्षित है 

यह हिन्दू राष्ट्र है 

तो मणिपुर कहाँ है ?

क्या मणिपुर भारत में नहीं है ?

क्या बदला है 

तब सुना है दुर्योधन ने भरी सभा में 

द्रोपदी के साथ ...

आज मणिपुर में 

विकास ने 

संस्कार ने 

भारत के बेटियों को 

निर्वस्त्र कर सरे आम घुमाया 

दुनिया ने देखा 

पता नहीं दुनिया 

गर्व कर रही है 

या नहीं ?

जब तुम पितृसत्तात्मक

पाखंडों को संस्कार का 

उत्सव समझ 

फ़िल्मी गानों पर सुबक रहे हों 

तब हर दो मिनट में 

3 बलात्कारों की चीख सुनना 

वैसे जिसको सुनाई न दे

दिखाई ना दे 

वही संस्कारी होते हैं 

अन्याय के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने वाले 

देशद्रोही !

Saturday, August 26, 2023

गांधी ने क्या किया ? -मंजुल भारद्वाज

 गांधी ने क्या किया ?

-मंजुल भारद्वाज



अद्भुत है 

राजनैतिक चेतना की लौ में 

इंसानियत को देखने का 

गांधी अवतरण !

अल्बर्ट आइंस्टीन ने सही कहा था 

आने वाली पीढ़ीयाँ 

यकीं नहीं करेंगी  

हाड़मांस का पुतला 

मानवीय देह लेकर 

धरती पर अवतरित हुआ था 

जिसने अपने विवेक से 

साम्राज्यवाद को शिकस्त देकर 

दुनिया को मुक्त किया था !

दरअसल गांधी ने 

सत्ता पाने के पशुता भरे 

पाषाणयुग के नियमों को बदल

जन की राजनैतिक चेतना जगा 

विवेक और सत्य को 

सत्ता संचालन के सूत्र बना 

विश्व को मानवता का पाठ पढ़ाया !

इतिहास गवाह है 

जब ईश्वरीय अवतार 

दुर्योधन का ह्रदय परिवर्तन नहीं कर सका 

तो उसने धर्मयुद्ध का पाठ पढ़ा 

पृथ्वी को मानव रक्त से लहूलुहान कर दिया    

गांधी ने धर्म के 

हिंसक स्वरूप को अहिंसा में बदल 

धर्म के लिए युद्ध नहीं 

आत्मपरिवर्तन कर 

इतिहास बदल दिया !

मर्यादा पुरुषोत्तम 

रावण का विचार नहीं बदल सके 

उन्हें रावण को मारना पड़ा 

मर्यादा पुरुषोत्तम 

धोबी का मानस नहीं बदल सके 

और 

सीता को वनवास दे दिया 

गांधी ने आत्मनिष्ठा से 

सत्य और अहिंसा की डगर पर चलकर 

दुनिया की राजनीति में  

नया इतिहास रच दिया !

आज 

राम के नाम पर 

लाखों का खून बहाने वाले 

सत्ता के लिए नरसंहार करने वाले 

धर्म के पाखंडी 

लोभ,लालच,भोग में लिप्त विकारी 

मज़हबी नफ़रत की आग़ में जलते 

सत्ता के पिपासु 

पूछते हैं गांधी ने क्या किया?

मिट्टी ने सबको जन्मा

मिट्टी ने सबको जन्मा
पाला पोषा,बड़ा किया
जीवन दिया
जीवन भर लोगों ने
मिट्टी को ठगा
पढ़े लिखे
ज्ञानी लोगों ने
मिट्टी की ठगी को
विकास का नाम दिया
खुद को छलते छलते
जब थक गए
मिट्टी ने पुन:
अपनी गोद में समा लिया !

- मंजुल भारद्वाज

घने कोहरे में ! -मंजुल भारद्वाज

 घने कोहरे में ! 

-मंजुल भारद्वाज




घने कोहरे में 

पसीजता मन 

भिगो देता है 

सारे जंगल को !

मोहब्बत की निशानियाँ 

चमकती हैं 

डाल डाल

पत्ती पत्ती

ओस की बूंद बनकर !

महबूब के नूर से 

जगमगाती है कायनात 

इंसानियत का पैगाम लिए 

खिलता.महकता है गुलशन 

पर्वतों से गिरते झरनों में 

प्रेम धुन बजाते हुए !

थोड़ा संयम और ... -मंजुल भारद्वाज

थोड़ा संयम और ...
-मंजुल भारद्वाज
तानाशाह बहुत डरा हुआ है
इसलिए और हिंसक हुआ है !
तुतलाने,हकलाने के साथ
रोने की अदा दोहराने लगा है !
जहाँ गीता-कुरान एक साथ हैं
चाकू, छूरी तलवार की जद में हैं !
मनुष्य होने के अहसास पर वार
प्रेम,सौहार्द, भाईचारे पर प्रहार !
नफ़रत,हिंसा,फ़रेब का सैलाब
अमन,अहिंसा,प्रेम माकूल जवाब !

Friday, August 25, 2023

बापू - मंजुल भारद्वाज

बापू

- मंजुल भारद्वाज


बापू  - मंजुल भारद्वाज


दरकता है

टूटता है

भीतर ही भीतर

जब लोक भीड़ बन जाता है !


तन्त्र भीड़ बने लोक का शोषण करता है

वेदना तब असहाय हो जाती है

जब भीड़ बना लोक

शोषक को मसीहा समझता है !


चेतना के मंच पर

उभरते हैं गांधी

गाँधी से असंख्य प्रश्न पूछता हूँ मैं

क्या अहिंसा मुक्ति का मार्ग है?

अगर है तो

दुनिया जब से बनी है

तब से अब तक

पत्थर से परमाणु बम को क्यों पूजती है?

भूखे देश रोटी नहीं

हथियार क्यों खरीदते हैं?


क्यों बापू नरसंहार करने वाले

अवतार बनाकर पूजे जाते हैं

क्यों सत्ता विचार,विवेक से नहीं

बंदूक की गोली से निकलती है?


बापू मौन है !

बोलो बापू आपका आखरी आदमी

क्यों नहीं लड़ता अपने लिए?

क्यों वो अपने उद्धार के लिए

किसी मसीहा का इंतज़ार करता है?


बापू मौन है !

बापू आप किस भारत में पैदा हुए

वर्णवाद के गर्त में धंसे भारत में

छुआछूत को इमां मानने वाले भारत में

महिलाओं को गुलाम मानने वाले भारत में

देश,समाज नहीं जाति के नाम

मर मिटने वाले भारत में ?


राजा रजवाड़ों में बंटे भारत को

राजा को भगवान मानने वाली प्रजा को

सत्ता से दूर

समाज के हाशिये पर रहने वाली

सदियों से गुलाम जनता में

राजनैतिक चेतना कैसे जगाई

तुमने बापू ?


तुम्हारे समय में सोशल मीडिया नहीं था

संचार माध्यम पर अंग्रेजों का कब्ज़ा था

जनता अनपढ़ थी

फिर ऐसा क्या कहा

ऐसा क्या बोला बापू आपने

जो आज पढ़े लिखे होने के बावजूद

कोई मूर्छित भीड़ की मूर्छा नहीं तोड़ पाता?


बोलो बापू

बोलो बापू

तुमसे पहले अहिंसा के मार्ग पर

किसी ने सत्ता नहीं पाई

सबने हिंसा से सत्ता पाई

हिंसा को न्याय पाने का मार्ग समझा

फ़िर आप में वो कौन सा आत्मबल था कि

आप अकेले अडिग रहे

आपको छोड़कर लोग चले गए

पर आप अहिंसा पर टिके रहे

कैसे ?

हे सत्य को साधने वाले

हे सत्य को खोजने वाले

हे सत्यमेव जयते के सिद्ध व्यक्तित्व

कैसा लगता है आपको

जब आपकी तस्वीर पर

झूठा व्यक्ति फूलमाला चढ़ाता है?


बापू मौन हैं

मैं प्रश्न पूछते पूछते

अपने अंतर्मन में उतर गया

आदर्श बना बनाया नहीं मिलता

सत्य अपने आप नहीं साधा जाता

जीवन व्यवहार की भट्टी में तपकर

सत्य रोशन होता है

हिंसा मनुष्य के डीएनए में होती है

अहिंसा तपस्या से साधी जाती है

अहिंसा विवेक के साथ से

विचार को शक्ति देती है

ऐसा आत्मबल जगाती है

जो अडिग होकर

सत्य की डगर पर

निडर होकर चलता है ....

आदर्श समय कोई नहीं होता

पर्याप्त सामग्री और संसाधन कभी नहीं होते

चुनौती को स्वीकार कर

विवेक –विचार से आत्मबल के धरातल पर

सृजनशीलता के सूर्य से

अँधेरे को सवेरे में बदलना होता है ....

मेरे आत्मसंवाद पर

बापू मुस्कुरा दिए .... 

सांस चल रही है -मंजुल भारद्वाज

 सांस चल रही है

-मंजुल भारद्वाज 



बिखरती है 

संवरती है 

तेरी जुल्फ़ों सी 

ज़िंदगी भी !

करवटें बदलती है 

अदा के नमक से 

जुदा ज़िंदगी !

बस शरीर ढो रही है

परम्परा सी

सांस चल रही है 

व्यवहार निभाते हुए !

भला इश्क़ 

बिना इबादत 

कहाँ होता है !

#ज़िंदगी #इश्क़ #मंजुलभारद्वाज


कभी फुर्सत मिले तो सोचना ! -मंजुल भारद्वाज

 कभी फुर्सत मिले तो सोचना ! -मंजुल भारद्वाज तुम स्वयं  एक सम्पति हो  सम्पदा हो  इस पितृसत्तात्मक व्यवस्था में  कभी पिता की  कभी भाई की  कभी ...