कमाल का लोकतंत्र है भारत !
-मंजुल भारद्वाज
कमाल का लोकतंत्र है भारत
जनता झूठ को सच मानती है
झूठों को सत्ता पर बिठाती है
झूठे झूठ बोलकर राज करते हैं
छाती ठोककर जनता को लूटते हैं
जनता लुटकर धन्य हो जाती है
झूठों की सरकार जितना जनता को लूटती है
जनता उतनी ज्यादा वोट झूठों को देती है !
झूठों ने नोटबंदी कर दी
जनता बैंकों के सामने सारा काम धाम छोड़ कर लाइन में लगी
दिन रात भूखी रही
पुलिस से पिटी
खुद मरी
बच्चे मरे
पर काले नोट बदल कर सफ़ेद कर लिए
जनता ने भारत में काले नोट बदल लिए
और कमाल यह हुआ कि स्विस बैंकों में जमा
भारत का पैसा सफ़ेद हो गया
एक पैसा भारत वापस नहीं आया
उल्टा दुगना भारत से निकलकर
स्विस बैंकों में जमा हो गया
काले धन को इस तरह झूठों ने सफ़ेद किया
छोटे उधोग धंधे बंद हो गये
व्यापारी बर्बाद हो गए
पर जनता खुश हुई
उसने देश की अर्थ व्यवस्था को बर्बाद करने वाले तुगलक़ को फिर चुना
और देश का शहंशाह बना दिया !
झूठ जनता को पसंद है
शहंशाह जान गए
इस बार शहंशाह ने जनता के प्राण लिए
47 लाख लोगों का संहार किया
लोग एक एक सांस के लिए तड़पे
घर घर मसान बन गया
श्मशान और कब्रिस्तान कम पड़े गए
करोड़ों मज़दूर विस्थापन हुए
पर शहंशाह ने 5 किलों राशन से मतदातों को खरीद लिया
जनता ने शहंशाह के नमक का कर्ज़ चुकाया
और जनता ने पूरा देश शहंशाह के नाम कर दिया !
शहंशाह ने पेट्रोल डीजल पर जज़िया लगा दिया
10 साल से हिन्दू बनी जनता ने उसे स्वीकार किया
गर्व से हिन्दू होने का नारा लगाया
56 इंच के सीने का गुणगान किया
घास की रोटी खायेंगे
झूठों तुम्हें जितायेंगे
हमने शेर को पाला है
हम ख़ुशी ख़ुशी निवाला हैं !
शहंशाह ने देश बेच दिया
जनता खुश हुई
उसका क्या था, उसका क्या है
जो है शहंशाह का है
झूठे ने कहा आज़ादी का अमृत काल है
जनता इसका जश्न मनाये
जनता ने शहंशाह का शुक्रिया अदा किया
खुशहोकर शहंशाह ने जनता को इनाम दिया
आज़ादी के बाद पहली बार
आटे,दाल,चावल पर जीएसटी लगा दिया
जनता के कहा हमारा शहंशाह कमाल है
देश को बेच दिया
पर झुकने नहीं दिया
देश को कंगाल कर दिया
पर काले धन को सफ़ेद कर दिया
हम सब को तीन दिन तिरंगा फ़हराने का आदेश दिया
हम शहंशाह के आभारी हैं
हम भूखे रहेंगे
पर शहंशाह की तिज़ोरी को भरेंगे !
शहंशाह हिन्दू राष्ट्र मना रहे हैं
अरब के सब मुस्लिमों को गले लगा रहे हैं
भारत की जनता को जन्नत पंहुचा रहे हैं
70 साल में ऐसा चमत्कार पहली बार हुआ है
मूर्छाकाल,मृत्यु काल ,अकाल
अमृतकाल लग रहा
संविधान को न्यायालय ने सलीब पर टांग दिया है
अशोक चिन्ह को उपहास बना दिया है
सरकारी पयादे शहंशाह के फ़रमान से चलते हैं
और भांड शहंशाह के गुणगान कर रहे हैं
न्याय न्याय न्याय की गुहार लगाने वाले
जेलों में सड़ रहे हैं
दुनिया में चर्चा है
शहंशाह बेमिसाल है
भारत का लोकतंत्र कमाल है !