सच बोलिए!
-मंजुल भारद्वाज
सच के बदले
मिलती है मौत
यह मौत सच का
ईनाम होती है
आदि से आज तक
इतिहास में दर्ज़ है
सच बोलने वाला
चाहे सुकरात हो
मंसूर हो या
गांधी
सत्ता के अंधियारे में
सच बोलना जुर्म है
जिसकी सजा मौत है
सत्ता हमेशा सच से कांपती है
सच से मनुष्यता की जीत होती है
तानाशाहों की हार
सच का साथी है विवेक
इसलिए सच बोलिए
मनुष्यता के लिए
मानवता के लिए
सच ही प्राण है
आज के अंहकार
और
अंधकार से आपको
सिर्फ़ सच बचा सकता है
इसलिए सच बोलिए!
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