Thursday, August 31, 2023

कभी फुर्सत मिले तो सोचना ! -मंजुल भारद्वाज

 कभी फुर्सत मिले तो सोचना !

-मंजुल भारद्वाज

तुम स्वयं 

एक सम्पति हो 

सम्पदा हो 

इस पितृसत्तात्मक व्यवस्था में 

कभी पिता की 

कभी भाई की 

कभी बेटों की !

आदि काल से आज तक 

युद्ध 

तुमको हासिल कर जीते गए 

हार गए तो तुम्हें 

जीते हुए को सौंपकर 

तख़्त-ओ-ताज बचाए गए !

रिश्ते भावनात्मक जाल हैं 

जिससे पितृसत्तात्मक व्यवस्था

शोषण करती है तुम्हारा 

कभी देखो रिश्तों की 

परत खोलकर 

उनमें गज़ बजाती कीडनाल 

नज़र आएगी !

यह किताब पढ़कर 

यह बाज़ार में बदन बेचकर 

तुम स्वतंत्र नहीं हुई 

उल्टा और गहरे 

झेरे में फंस गई हो !

कभी अंदाज़ा लगाया है 

शोषण,अमानवीयता के 

अंधे गह्वर में 

युगों –युगांतर में फंसी हुई हो तुम !

पितृसत्तात्मक व्यवस्था के श्रुंगार से सजी 

वो चंद्रयान भेजने वाली

तुमने मणिपुर में 

उस महिला का बयान सुना 

उस महिला ने कहा 

मेरे बेटे ने, मेरी कौम के लिए 

महिलाओं को निर्वस्त्र करके 

सरेआम घुमाया !

माँ का यह कैसा रूप है?

सोचा?

हाँ एक ने कहा तो ... 

सब एक जैसी थोड़े ना है ...

दहेज़ में जलने वाली 

भूखा मरने वाली 

लड़के को मर्द बनाने वाली 

लड़का –लड़की में भेद करने वाली 

यह एक एक करके अनेक हो जाती हैं !

कभी सांस लो 

शरीर के अलावा 

मुक्त इंसान बनकर !

धर्म ने, जात ने तुम्हें 

इंसान नहीं माना

पर संविधान ने 

तुम्हें इंसान भी माना

और बराबरी का संवैधानिक हक़ भी दिया !

पर 70 साल में तुमने 

कभी संविधान को नहीं समझा 

बस धर्म के कर्मकांडों में उलझी रही 

ऐसे बेटों को जनती रही 

जो कौम के लिए 

महिलाओं से बलात्कार करें !

आधी आबादी हो 

लोकतंत्र में हो 

क्यों नहीं 

अपने बहुमत का 

परचम संसद में लहराती !

कभी फुर्सत मिले तो सोचना ...

मनुष्य के अंदर धर्म कितना ज़हर भरता है - मंजुल भारद्वाज

मनुष्य के अंदर धर्म

कितना ज़हर भरता है

वो इस ज़हर से 

मोहब्बत को मारता है

प्रेम से बड़ा है वर्ण

प्रेम के हत्यारे हैं

जात और धर्म 

इंसानियत के शत्रु हैं !

क्या कोई मिटा पाया है / पायेगा 

प्रेम के शत्रु को ?

या 

इतिहास इसी तरह 

मनुष्य के ज़हर से 

प्रेम की हत्या का 

साक्षी बनता रहेगा !

- मंजुल भारद्वाज

गांधी पथ वहीं ठहरा रहा .... -मंजुल भरद्वाज

 गांधी पथ वहीं ठहरा रहा ....

-मंजुल भरद्वाज 


नीति के लिए 

संघर्ष करने वाले 

धड़े,गुट,गिरोह में 

विभाजित हो 

पथभ्रष्ट हो गए !

गांधी गांधी जपते 

सत्यवीर हो गए 

अपनी सुविधा से 

गांधी की आड़ में छुप गए !

अवसर देख गांधी को 

कुटिया में छोड़ आए !

गांधी पथ 

किसी अदालत पर 

खत्म नहीं होता 

अपितु अदालतों के गुरुर 

सर्वशक्तिमान ताक़त के 

मकबरे को 

अंतरात्मा के विवेक से रोशन करता है !

गाँधी उस विवेक का सार्वभौम स्वरूप है 

जो जन पीड़ा की आहुति से 

प्रज्ज्वलित होता है !

आत्म सुख से नहीं 

जन पीड़ा की वेदना को 

जीवन में उतार लेना 

जन में विश्वास

जन के विश्वास की धुरी है 

गांधी !

गांधी ने अपने  

सत,सूत और सूत्र से 

बुना था भारत का जनमत 

जिस पर खड़ी है 

भारत की बुनियाद !

आज भारत की बुनियाद 

ध्वस्त हो रही है 

जनमत मूर्छित है 

जरूरत मात्र मीलार्ड के 

आदेश पालन भर की नहीं है

जरूरत मूर्छितकोर्ट की 

अंतरात्मा जगाने की है !

गांधी ने वही किया था 

उसी से गुलाम जनता का डर भागा था 

सत्याग्रह की बुनियाद है निडर होना 

जनमानस का भयमुक्त होना !

आज गांधी बस एक सन्दर्भ बने 

गाँधी पथ ... 

वहीं ठहरा रहा 

खैर हर सत्याग्रही को 

अपने अपने हिस्से का 

पथ गमन करना है !

गांधी राष्ट्रपिता है 

इसलिए अपने इस्तेमाल से 

दुखी नहीं होते 

वो मुस्कुरा देते हैं !

हम गाँधी को अपनी तरह समझ लेते हैं 

अपना अपना गांधी बाँट लेते हैं

समय की पुकार है 

गांधी को समग्र समझने की 

जीवन में गांधी को जीने की 

हे गांधी !

#गांधी #मंजुलभरद्वाज

एक और भगवान का घर ! - मंजुल भारद्वाज

एक और भगवान का घर !

- मंजुल भारद्वाज 


कहा जाता है 

हर जगह ईश्वर है

फ़िर उसे झूठला दिया जाता है

मंदिर ,मस्जिद,गिरजाघर को

भगवान का घर बताया जाता है 

यह बताने वाला कौन है?

उसकी बात मानने वाले कौन हैं?

बताने वाला शोषक है

मानने वाले शोषित !

शोषक और शोषित दोनों

भगवान के जन्मदाता हैं

शोषक भगवान के नाम से 

शोषण करता है

शोषित शोषण से मुक्ति के लिए

भगवान के सामने हाथ फैलाता है

ना शोषक शोषण बंद करता है

ना शोषित शोषण मुक्त होता है

हां मंदिर,मस्जिद,गिरजाघर

मालामाल हो जाते हैं

यहां कोई सवाल नहीं पूछता

भगवान को दौलत की क्या ज़रूरत

पर सवाल हक़ की आवाज़ है

और भगवान के खिलाफ़

कौन आवाज़ उठाता है?

एक विशेष जगह को 

भगवान का घर बताने वाला 

शोषक है ब्राह्मण

जो  ईश्वर,वर्ण,धर्म के नाम से

शोषणकारी व्यवस्था का निर्माण करता है

गरीब अपना पेट काट कर

भगवान के घर की दानपेटी भरता है

दानपेटी ब्राह्मण को अपराजेय बनाती है

ब्राह्मण अपने शोषण की नीति बनाता है

नियम बनाता है

भगवान के घर पर एकाधिकार रखता है

शोषित ब्राह्मण के पास जाकर

शोषण मुक्ति के उपाय पूछता है

ब्राह्मण उसे भगवान के घरों की

अनंतकालीन प्रक्रिमा का उपाय बताता है

शोषित अनंतकाल से भगवान के घरों की परिक्रमा कर 

दानपेटी भर रहा है

ब्राह्मण अमर हो रहा है

शोषण बढ़ रहा है !

शोषित भगवान के घर की 

वास्तुकला का गुणगान करते है

वास्तु भव्य होती जा रही है

शोषण चक्र बढ़ता जा रहा है

जितना शोषण बढ़ रहा है

उतना ही शोषित भगवान के घर की 

परिक्रमा कर रहा है

एक एक ईंट लेकर 

भगवान का घर बना रहा है

शोषित की पीढ़ी दर पीढ़ी 

दान पेटी भर रही है

भगवान के घर की सीढ़ियां घस गई

पर शोषण नहीं मिटा

शोषित भगवान के घर को 

शोषण मुक्ति की उम्मीद मानता है

उम्मीद उसे जिलाए रखती है

शोषण मुक्त नहीं करती !

भगवान की इन सीढ़ियों पर

ना जाने कितनी सिसकती

तड़पती उम्मीदों

दुआओं

मन्नतों ने दम तोड़ा है

पर शोषण नहीं मिटा

हां शोषक के अच्छे दिन आ गए

दानपेटी मतपेटी में बदल गई

संविधान को सलीब पर चढ़ा

न्याय देने वाले ने

एक और मंदिर बनाने का फैसला दे

ब्राह्मण को पुन: अपराजेय बना दिया !

शिक्षित कौन है ? - मंजुल भारद्वाज

शिक्षित कौन है ?

- मंजुल भारद्वाज


शिक्षित कौन है?

पढ़ना लिखना सीखकर

धर्म 

वर्णवाद 

जात को मानने वाले ?

शिक्षित कौन है?

धर्मांध हो

मजहबी नफ़रत फैलाने वाले

धर्म पर राजनीति करने वाले

धर्म की राजनीति करने वालों को

सत्ता पर बिठाने वाले ?

शिक्षित कौन है?

औरत को देवी बना

पितृसत्तात्मक समाज के पैरोकार

 पितृसत्तात्मक समाज में

 शोषित होने वाले

मां,बहन,बेटी का जिस्म

नोचने और बेचने वाले?

कौन है शिक्षित?

विज्ञान से इजाद तकनीक 

कंप्यूटर ,स्मार्टफोन पर 

ई - प्रसाद,पूजा कर

मन्नत मांगने वाले ?

कौन हैं शिक्षित?

पशु को माता मानने वाले

पशु के नाम पर 

मनुष्य का कत्ल करने वाले

पशुओं की बलि देने वाले?

कौन है शिक्षित?

सच को नहीं

झूठ को सफलता का साधन समझने वाले

पाखंड ,अंधविश्वास

अंधश्रद्धा - श्रद्धा के जाल में फंसने वाले ?

कौन है शिक्षित?

भारत माता की जय बोल

सीता की अग्नि परीक्षा लेने वाले

बलात्कारियों को माला पहना

संस्कारी बताने वाले?

कौन है शिक्षित?

लोकतंत्र में मौलिक अधिकार पाने वाले

राजनीति को गंदा समझने वाले

आईएएस, आईपीएस बनकर

एक चुने हुए नामजद

तड़ीपार 

अपराधी के हुक्म की तामील कर

सलाम ठोकने वाले ?

कौन है शिक्षित ?

भ्रष्टाचार के आंदोलन में शामिल हो

अपने बच्चों को

स्कूलों में घूस देकर 

एडमिशन दिलाने वाले ?

कौन है शिक्षित ?

गांधी को मारने वाले

गांधी को पाखंडी कहने वाले

गांधी के विचार नहीं 

फोटो को पूजने वाले

बुलबुल की सवारी करने वाले को वीर समझने वाले ?

कौन है शिक्षित?

संविधान सम्मत 

हम भारत के लोग 

विचार को मानने वाले

भारत के मालिक 

राजनेताओं को भारत का मालिक समझ

जीवन भर उनके सामने गिड़गिड़ाने वाले ?

केमिकल लोचा है भाई ! - मंजुल भारद्वाज

केमिकल लोचा है भाई !

- मंजुल भारद्वाज


मुन्ना भाई ने 

बापू के बारे में 

चार बातें पढ़ी 

और 

मुन्ना गांधीगिरी करने लगा

मुन्ना को विश्वास हो गया 

बापू के बारे में वो सब जानता है 

बापू उसके साथ है  

सर्वशक्तिमान ने मुन्ना के भ्रम को तोड़ दिया 

उसने सरेआम मुन्ना से 

बापू के बारे में वो सवाल पूछे 

जिसके बारे में मुन्ना ने नहीं पढ़ा था 

मुन्ना के दिमाग में 

केमिकल लोचा हो गया 

पढ़े लिखे लोगों को 

गांधी मुन्ना की तरह 

समझ आता है 

पढ़े लिखे लोग 

इसी भ्रम के साथ जीते हैं 

मुन्ना की तरह 

उनका भ्रम नहीं टूटता

मुन्ना की तरह उनके दिमाग में 

केमिकल लोचा भी नहीं होता 

केमिकल लोचा 

गाँधी को पढ़ने से नहीं

गांधी को जीने से होता है 

गांधी किताबों में नहीं 

ज़िंदगी जीने से समझ आता है! 

#हेगांधी #मंजुलभारद्वाज

अंधकार, अन्धकार, अंधकार ! -मंजुल भारद्वाज

 अंधकार, अन्धकार, अंधकार !

-मंजुल भारद्वाज

अंधकार, अन्धकार, अंधकार ! -मंजुल भारद्वाज


एक सनकी प्राणी 

जो मनुष्य के भेष में 

अब तक चुनाव जीतता आया है 

अब चुनाव हारने वाला है 

चुनाव हारने की ख़बर से 

वो डरा हुआ है !

इस डर से

वो दिमागी संतुलन खो चुका है 

अब वो 

आपके मौलिक अधिकार छीन सकता है 

बिलकुल नोट बन्दी की तरह 

याद कीजिये आपका अपना पैसा होते हुए भी आप 

एक एक पैसे को मोहताज़ हो गए थे !

यह आपकी धार्मिक आज़ादी छीन सकता है 

बिलकुल देश बंदी की तरह 

जैसे आप अपने घरों में कैद थे 

एक एक सांस के लिए तरस रहे थे 

याद हैं ना ऑक्सीजन ऑक्सीजन !

आपकी बिजली काट दी जाएगी 

इन्टरनेट बंद कर दिया जाएगा 

बिलकुल मणिपुर और कश्मीर की तरह 

फिर आपके परिवार पर 

और आप पर वही बीतेगी 

जो मणिपुर और कश्मीर में बीत रही है !

भारतीयता को छोड़ 

हिन्दू होने पर गर्व करने वालो 

अब आपसे वोट देने का अधिकार भी 

छिन सकता है 

एक देश, एक चुनाव 

एक ही बार चुनाव 

अंतिम चुनाव 

एक देश, एक व्यक्ति 

बस बाकी उस व्यक्ति की भक्ति !

संविधान 

कैसा संविधान 

मनुस्मृति

वर्णवाद 

हिन्दू राष्ट्र का निर्माण 

एक हज़ार साल तक चलेगा !

कौन बचाएगा 

सुप्रीमकोर्ट ?

सुप्रीमकोर्ट खुद अपने को बचा ले 

सबसे लाचार और शक्तिहीन 

सुप्रीमकोर्ट ही है 

एक अदना सा विधान सभा अध्यक्ष

सुप्रीमकोर्ट को अपनी जुते की नोंक पर रखता है 

याद करो महाराष्ट्र कांड !

सुप्रीमकोर्ट ने क्या किया 

राफ़ेल घोटाले में 

नोट बन्दी घोटाले में 

एक पत्थर को प्रतिवादी मानकर

राम मंदिर का फैसला सुनाकर

संविधान की हत्या वाले सुप्रीमकोर्ट ने 

पैदल चले मज़दूरों के बारे में 

47 लाख लोग सरकार ने मौत के घाट उतार दिए 

लोगों के बारे में क्या किया ?

निल बटे सन्नाटा !

आंबेडकर को मानने वाले 

आम्बेडकर के संविधान सभा में 

संविधान पटल पर रखते हुए दिए भाषण को भूल गए 

‘संविधान को लागू करने वाले लोग बुरे हुए तो 

संविधान कितना भी अच्छा क्यों ना हो 

अंतत निर्रथक साबित होगा’ ! 

सत्य,अहिंसा और विवेक 

जगाने वाले गांधी को 

खारिज़ कर 

क्या मिला आपको ?

स्मार्ट फ़ोन 

इन्टरनेट 

यू tube

सोशल मीडिया 

एक झटके में बंद !

फिर क्या करोगे ?

अरे जो भारतीय होने पर गर्व नहीं कर सके 

वो कर भी क्या सकते हैं ?

वो मरते रहेंगे 

धर्मांध सत्ता 

हिन्दू राष्ट्र 

उनका कत्ल करता रहेगा 

वो राम मंदिर में जयकारा 

लगाते रहेंगे 

युगों युगों तक !

अमृत काल, अमृत काल 

अंधकार, अन्धकार, अंधकार !

कभी फुर्सत मिले तो सोचना ! -मंजुल भारद्वाज

 कभी फुर्सत मिले तो सोचना ! -मंजुल भारद्वाज तुम स्वयं  एक सम्पति हो  सम्पदा हो  इस पितृसत्तात्मक व्यवस्था में  कभी पिता की  कभी भाई की  कभी ...