Tuesday, August 29, 2023

पहर दर पहर -मंजुल भारद्वाज

पहर दर पहर 

-मंजुल भारद्वाज

पहर दर पहर  -मंजुल भारद्वाज

पहर दर पहर 

आँखें 

राह तकती हैं 

जाने सूनी राह में 

किसका इंतज़ार करती हैं !

कान अपने आप 

किसी आहट के 

सुनने की प्रतीक्षा करते हैं 

अपने आप आहट का 

निर्माण करते हैं !

एक पुर-कशिश 

गरमाहट से 

रोआँ रोआँ खिल उठता है 

जाने यह कौन है 

किसका अहसास है 

जो रूह में जा बसता है !


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