Saturday, July 11, 2020

उम्मीद का आत्मिक सौन्दर्य है चाँद! -मंजुल भारद्वाज

उम्मीद का आत्मिक सौन्दर्य है चाँद!
-मंजुल भारद्वाज 
रात का हम सफ़र है चाँद
अँधेरे में जला चराग़ है चाँद
रात की गोद में खेलता 
हौंसला है चाँद
पारम्परिक प्रकाश बिंब के बरक्स 
प्रतिकूल हालात में
मन का राज़दार
वफ़ा ऐ नूर से रोशन   
उम्मीद का आत्मिक  
सौन्दर्य है चाँद! 



#चाँद #सौन्दर्य #मंजुलभारद्वाज

आग़ जलती रहे! - मंजुल भारद्वाज

आग़ जलती रहे !
- मंजुल भारद्वाज 


आग़ जलती रहे 
घर के चूल्हे में
पृथ्वी के गर्भ में 
सूर्य के अस्तित्व में
रिश्तों की गर्मजोशी में 
चाहत के झरने में
सांसों के आवागमन में 
उदर के पाचन में
बर्फ़ के सीने में 
प्रणय पर्व में
बीज धारण किए 
खेत की माटी में
विवेक के शांत प्रकोष्ट में
बुद्धि के वैचारिक प्रभाग में 
न्याय पुकारती रूह में  
आग़ जलती रहे 
माटी के चोले में
जब तक आग़ है 
तब तक जीवन है 
जब तक देह है 
आग़ जलती रहे 
आग़ नहीं है तो आप 
जीते जी 
मोक्ष धाम में स्थापित हैं 
मुक्ति के लिए 
आग़ जलती रहे!


#आग़जलतीरहे #मंजुलभारद्वाज

कभी फुर्सत मिले तो सोचना ! -मंजुल भारद्वाज

 कभी फुर्सत मिले तो सोचना ! -मंजुल भारद्वाज तुम स्वयं  एक सम्पति हो  सम्पदा हो  इस पितृसत्तात्मक व्यवस्था में  कभी पिता की  कभी भाई की  कभी ...