Saturday, July 11, 2020
आग़ जलती रहे! - मंजुल भारद्वाज
आग़ जलती रहे !
- मंजुल भारद्वाज
आग़ जलती रहे
घर के चूल्हे में
पृथ्वी के गर्भ में
सूर्य के अस्तित्व में
रिश्तों की गर्मजोशी में
चाहत के झरने में
सांसों के आवागमन में
उदर के पाचन में
बर्फ़ के सीने में
प्रणय पर्व में
बीज धारण किए
खेत की माटी में
विवेक के शांत प्रकोष्ट में
बुद्धि के वैचारिक प्रभाग में
न्याय पुकारती रूह में
आग़ जलती रहे
माटी के चोले में
जब तक आग़ है
तब तक जीवन है
जब तक देह है
आग़ जलती रहे
आग़ नहीं है तो आप
जीते जी
मोक्ष धाम में स्थापित हैं
मुक्ति के लिए
आग़ जलती रहे!
#आग़जलतीरहे #मंजुलभारद्वाज
Subscribe to:
Posts (Atom)
कभी फुर्सत मिले तो सोचना ! -मंजुल भारद्वाज
कभी फुर्सत मिले तो सोचना ! -मंजुल भारद्वाज तुम स्वयं एक सम्पति हो सम्पदा हो इस पितृसत्तात्मक व्यवस्था में कभी पिता की कभी भाई की कभी ...
-
मनुष्य के अंदर धर्म कितना ज़हर भरता है वो इस ज़हर से मोहब्बत को मारता है प्रेम से बड़ा है वर्ण प्रेम के हत्यारे हैं जात और धर्म इंसानियत क...
-
कभी फुर्सत मिले तो सोचना ! -मंजुल भारद्वाज तुम स्वयं एक सम्पति हो सम्पदा हो इस पितृसत्तात्मक व्यवस्था में कभी पिता की कभी भाई की कभी ...
-
मी वेडेपणा शोधतो आहे…. - मंजुल भारद्वाज मला तुम्हाला वेडं करायचंय...., मी शोधतो आहे इतिहासात होता ...