Thursday, March 12, 2020

विविध रंग प्रकृति संग! -मंजुल भारद्वाज

विविध रंग प्रकृति संग!
-मंजुल भारद्वाज
मेरा मन प्रकृति संग
प्रकृति सर्वसमावेशी
जिसमें समाए हर रंग
मेरे देश का रंग
सबरंग
मेरे देश का विधान
विविध रंग समावेशी
संविधान
प्रकृति के साथ
हर्ष और उल्लास
प्रकृति के विरुद्ध
हिंसा,विनाश और युद्ध
मेरे देश का सत्ताधीश
प्रकृति के विरुद्ध है
समाज फ्रोजन स्टेट में है
न्याय का सूत्र अबप्रकृति के हाथ है !

#प्रकृति #विविध #बहुरंग #मंजुलभारद्वाज

ज्ञान और जीवन लक्ष्य के काल कोण से निर्धारित होती है परछाई! -मंजुल भारद्वाज

ज्ञान और जीवन लक्ष्य के काल कोण से निर्धारित होती है परछाई!
-मंजुल भारद्वाज
अपनी परछाई से
मुक्त होना चाहता है
व्यक्ति,समूह,समाज
हो नहीं पाता
ताउम्र अपने तमस से
द्वंद्व कर संसार त्याग
शरीर छोड़ देता है
परछाई से मुक्त नहीं होता
परछाई का प्रकाश से
अटूट संबंध है
प्रकाश से संचालित
होती है परछाई
प्रकाश यानी ज्ञान
छाया यानी तम
तमसो मा ज्योतिर्गमय
जीवन का मूल है
वसुंधरा का प्राण है जीवन
वसुंधरा सूर्य की परिक्रमा करती है
सूर्य ज्ञान का स्त्रोत
ज्ञान मनुष्य को अँधेरे से
मुक्त करता है
वसुंधरा के आंगन में
मनुष्य की परछाई
सूर्य और वसुंधरा के
काल कक्ष कोण से
निर्धारित होती है
सूर्य सर पर हो
तो परछाई पैरों के
तले होती है
नियंत्रित या विलुप्त होती है
सूर्य और वसुंधरा के
काल कक्ष कोण की भांति
मनुष्य का ज्ञान और जीवन लक्ष्य
जीवन के उजाले-अँधेरे
तय करते हैं
ज्ञान का काल कोण
जीवन के लक्ष्य को
संचालित करे तो
जीवन कल्याणकारी
परछाई यानी तममुक्त होता है!

#परछाई #ज्ञान #सूर्य #वसुंधरा #मंजुलभारद्वाज

Wednesday, March 11, 2020

अहिंसा मानवता का मुक्ति सूत्र है! -मंजुल भारद्वाज

अहिंसा मानवता का मुक्ति सूत्र है!
-मंजुल भारद्वाज
एक हिन्दू राजा था
कुंठा और हिंसा से लिप्त
प्रतिशोध की अग्नि में जलता हुआ
दिन रात तलवार की नोंक से
अपना आधिपत्य स्थापित करते हुए
मनुष्यों के रक्त से स्नान करता हुआ
वो युद्ध का उपासक था
एक युद्ध की विभीषका ने
उसे झकझोर दिया
उसका विवेक जागा
उसे कलिंग की भूमि
हिंसक राजा को
बुद्ध की शरण में भेज दिया
राजा ने अहिंसा को अपनाया
और वो राजा
दुनिया का चक्रवर्ती सम्राट कहलाया
बुद्ध के उस अनुयायी ने
राजनीति को जनकल्याण के
रूप में प्रस्थापित किया
सत्ता को न्याय का तख्त बनाया
मानव के साथ पशु प्राणियों के
अधिकार को सुनिश्चित किया
आज भी उसका चक्र
भारत के तिरंगे की शान है
उसका चिन्ह
भारतीय शासन की आन है
वो है अहिंसा का अनुयायी
सम्राट अशोक !



#सम्राटअशोक #मंजुलभारद्वाज

संविधान के नमक का कर्ज़ अदा करो! -मंजुल भारद्वाज

संविधान के नमक का कर्ज़ अदा करो!
-मंजुल भारद्वाज
दुर्योधन आर्य था
आर्य यानि आज का हिन्दू
भीष्म हिन्दू था
द्रोणाचार्य हिन्दू था
भीष्म और द्रोणाचार्य ने
दुर्योधन के नमक का
कर्ज़ अदा किया
और मारे गए
जब विधि,विधान,संविधान
नीति से बड़ा व्यक्ति के
नमक का कर्ज़ हो जाए
तो विध्वंस अटल है
सतापिपाशु वहशी दरिंदा
ना हिन्दू होता है
ना मुसलमान
वो सिर्फ़ वहशी दरिंदा होता है
अपने अपने धर्म के दुलारो
राम और रहीम के प्यारो
सतापिपाशु वहशी दरिंदों के
भीड़,भेड़,भ्रम जाल से मुक्त हो
व्यक्ति नहीं संविधान के नमक का
कर्ज़ अदा करो
तभी विध्वंस टलेगा
आपका प्यारा देश बचेगा!


#संविधानकानमक #मंजुलभारद्वाज

वो धर्म ही क्या जो खतरे में पड़ जाए? -मंजुल भारद्वाज

वो धर्म ही क्या जो खतरे में पड़ जाए?
-मंजुल भारद्वाज
थोड़ा मनन कीजिये
थोड़ा विचार कीजिये
वो धर्म ही क्या जो खतरे में पड़ जाए?
धर्म तो खतरे से मुक्त होता है
धर्म तो मनुष्य को
खतरों से मुक्त करता है
पर जो स्वयं खतरे में पड़ जाए
वो धर्म कैसे?
या फिर आपने कभी मनन नहीं किया
सत्ता पिपाशु मानवरक्त के सेवनहार
वहशी दरिंदों ने जो बताया
उसे आपने धर्म मान लिया?
हाँ सत्ता को हमेशा खतरा होता है
पर धर्म वही है जो
खतरों से मुक्त हो
विचार कीजिये
अपने अंदर धर्म की व्याख्या
परिभाषा को स्पष्ट कीजिये
धर्म अपने आप
खतरों से मुक्त हो जाएगा!


#धर्म #सत्ता #मंजुलभारद्वाज

Tuesday, March 10, 2020

अब खाक़ से उठना है! -मंजुल भारद्वाज

अब खाक़ से उठना है!
-मंजुल भारद्वाज
असम,अरुणाचल,मणिपुर,
मेघालय,बिहार,गोवा
कर्नाटक में जनादेश लूटा
चुने गए नेताओं का
राजनैतिक चरित्र
सत्ता के हाथ बिका
वहशी,सत्ता पिपाशु दरिंदों के
भोग,विलास,षड्यंत्र में फंसी
सत्ता को मुक्तकर
सत का तख़्त बनाना है
हर राजनेता में गांधी सा
राजनैतिक चरित्र गढ़ना है
विध्वंस की आँधियों से
घिरा है भारत
संविधान बचाना हैअब खाक़ से उठना है!

#खाक़सेउठनाहोगा #संविधान #मंजुलभारद्वाज

सत्ता के विधाता का नाम है आम आदमी! -मंजुल भारद्वाज

सत्ता के विधाता का नाम है आम आदमी!
-मंजुल भारद्वाज
बेचारगी का भाव
अजर अमर करने वाला
लाचारी सोने पे सुहागा
गिडगिडाने में सिद्धहस्त
धर्म का खेवनहार
है आम आदमी
यही आम आदमी
बेबसी,गरीबी,शोषण के
अमोघ सत्ता सूत्र से
अपने को दृष्टा,सृष्टा
राजनीति के राजसूत्र बताने वाले
सर्वहारा के मार्क्स
अंतिम व्यक्ति की मुक्ति के महात्मा
जन्म के संयोग से अभिशप्त
जनता के मूकनायक आंबेडकर
बेबसी,गरीबी,शोषण से मुक्ति के
हवन में अपने जीवन की आहुति दे
स्वाहा हो गए
पर आम आदमी
अत्याचार,हिंसा,अन्याय की चादर में
सत्ता का केंद्र बनकर
कुम्भकर्ण के निंद्रायोग में समाधिस्त है
सदाचारी विवेक में तपने वाले
स्वघोषित आम आदमी के उद्धारक
क्या
मनुष्य होने की सार्थकता से भागते
पेट भरने को जीवन का मकसद
मानने वाले आप आदमी के
सत्ता मन्त्र जान पाए?
घाघ है आम आदमी
पेट भरने के सुख के लिए
न्याय,अहिंसा,समता,विवेक का
हर पल सौदा करता है
दुनिया का सबसे बड़ा
अवसरवादी है आम आदमी
अच्छे अच्छे विचारक,सत्ताधीश
इसके चक्रव्यहू में घूमते रहते हैं
पर भेद नहीं पाते
आम आदमी पेट भरने के मोक्ष से
कोई समझौता नहीं करता
सत्ता बनती हैं
मिट जाती हैं
आम आदमी का सत्ता सूत्र
बेबसी,गरीबी,शोषण
आदिकाल से आज तक कायम हैं
पेट भरता रहे बस
राजतन्त्र,तानाशाही,लोकतंत्र से
उसे कोई मतलब नहीं
नीति,विधान,संविधान से
कोई सरोकार नहीं
पेट भरने की दरकार है
आम आदमी ही है
सत्ता का विधाता
जो डांट डपट,दमन
तोप,टैंक,अणुबम से नहीं
बेचारगी,बेबसी और लाचारी से
घूमाता है सत्ता का चक्र
जिसमें पिसकर चले जाते हैं
अंतिम व्यक्ति के महात्मा
सर्वहारा के मसीहा
जन्म संयोग के मुक्तिदाता
कायम रहती है
आम आदमी की भूखी भीड़
विवेक,विधि,विधान को बेचकर
मनुष्य होने की सार्थकता से
भागती अवसरवादी भीड़ कानाम है आम आदमी!

#आमआदमी #गाँधी #मार्क्स #आंबेडकर #मंजुलभारद्वाज

Monday, March 9, 2020

दुनिया मोहब्बत से चलती है! -मंजुल भारद्वाज

दुनिया मोहब्बत से चलती है!
-मंजुल भारद्वाज
सुन ऐ सत्ता के
वहशी दरिन्दे
तुझे मोहब्बत की
पनाह में आना पड़ेगा
लाख जला नफ़रत की होली
प्यार की गंगा में नहाना पड़ेगा
आत्म कुंठित दमन के सौदागर
मुक्तसर अमन का दामन थामना पड़ेगा
मनुष्य शरीर लिए ऐ शैतान
प्रेम का रंग लगाना पड़ेगा
तुझ से पहले,तुझसे खूंखार
कितने आए और खाक में मिल गए
दुनिया कल भी थी
आज भी है
कल भी रहेगी
ऐ इंसानियत के दुश्मन
इतना इल्म कर
दुनिया तानाशाही से नहीं
मोहब्बत से चलती है!


#दुनियामोहब्बतसेचलतीहै #प्रेमरंग #मंजुलभारद्वाज

तुम्हें क्या हो गया? -मंजुल भारद्वाज

तुम्हें क्या हो गया?
-मंजुल भारद्वाज


लहू का रंग एक था
अब वो तक़सीम हो
भगवा और हरा हो गया
खूब होली खेली
सियासतदानों ने
हिन्दू और मुसलमान के लहू से
सत्ता के लिए
इंसानियत जला दी
कतरा कतरा सिसकता रंग
पूछता है अवाम से
ऐ राम और रहीम के बंदो
मोशा तो वहशी दरिंदा है
अहल-ए-वतन के रखवालोंतुम्हें क्या हो गया?


#वतन #रंग #मंजुलभारद्वाज

इंतज़ार करता रहा! -मंजुल भारद्वाज

इंतज़ार करता रहा!
-मंजुल भारद्वाज
उलटी, सीधी, लेटी
बैठी,उठी,खड़ी
देह पर
कल खूब लिखा
और
कहा गया
देह को महिला समझ
खूब प्रलाप हुआ
साहित्य को रचने वाले
सत्ता के साथ रहे
बस उनकी कलम से
देह से मनुष्य होने का
इतिहास रचता
संविधान का परचम लहराता
शाहीन बाग़ गायब रहा
राष्ट्रवाद के उन्माद से परे
एक कौने में खड़ा
संविधान पूछता रहा
शाहीन तो मेरे लिए सड़क पर है
बस मैं सीता और गीता का
इंतज़ार करता रहा !


#संविधान #महिलादिवस #मंजुलभारद्वाज

मनुष्य होने की सार्थकता - मंजुल भारद्वाज

मनुष्य होने की सार्थकता
- मंजुल भारद्वाज

तुम्हारी हद जहां ख़तम होती है
वहां से मेरा क्षितिज शुरू होता है
तुम यथार्थ का समंदर हो
मैं कल्पनाओं का आसमान
हदों के पार पलती है उम्मीद
जिससे जन्म लेते हैं ख़्वाब
मंथन होता है यथार्थ के भ्रम का
जड़ता के विष को निष्क्रिय करता हुआ
उभरता है चैतन्य का
अमृत तुल्य क्षितिज
जहां बसता है हमारा विश्व
इंसानियत के सुंदर सपनों से सजा
मनुष्य होने की सार्थकता को
सिद्ध करता हुआ!


#मनुष्य #मंजुलभारद्वाज

Sunday, March 8, 2020

8 मार्च अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस को समर्पित 3 रचना! - मंजुल भारद्वाज

8 मार्च अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस को समर्पित 3 रचना! - मंजुल भारद्वाज
1.
मैं आदि और अंत हूँ
-मंजुल भारद्वाज
दो स्तन
एक गर्भाशय
एक योनि
मात्र नहीं हूँ मैं
मैं विश्व का
विधान,संविधान हूँ
मैं सृष्टि हूँ
प्रकृति हूँ
मैं ब्रह्म हूँ

जन्म,वजूद
हैसियत,अस्तित्व
व्यक्ति,व्यक्तित्व
जीवन और मृत्यु
मुझसे है
मेरी प्रतिशोध प्रतिज्ञा में
सभ्यताएं नष्ट हो जाती हैं
मेरे प्रण से धरती फट जाती है

मैं रस्मो रिवाज़ का ठीहा नहीं हूँ
सिंदूर पोतने और मंगल सूत्र
चढ़ाने वाला पत्थर नहीं हूँ
मैं आग हूँ
मेरा अंश ही है वंश
अपने रक्त,मेरु,मज्जा से
अपने ही ममत्व में भीगती हुई
दुनिया को रचती हूँमैं आदि और अंत हूँ!

...
#आदि #अंत #नारी #मंजुलभारद्वाज

2.
हे निर्मात्री तुझे सलाम!
-मंजुल भारद्वाज
महिला निर्मात्री है
मेरा सलाम इस मेहनतकश महिला को
जो लड़ रही है
गरीबी के अभिशाप से
जिसने अपने श्रम से तोड़ा है
जन्म का संयोग
भूख का घेरा
चूल्हा,चक्की के दायरे को लांग
कदम रखा है अपने
हिस्से की धूप को
हासिल करने के लिए
नाजुक,कमज़ोर,अबला के
कलंक को मिटाते हुए
अपने सृजन अवतार की
शक्ति को सिद्ध करते हुए
मध्यमवर्ग की चारदीवारी में
सजधज कर
किसी धनपशु की हवस का
निवाला बनने की बजाए
थपेड़ा है पितृसत्तात्मक समाज को
ममता मेरा आंचल है
सृजन जवाबदेही
बराबरी भीख में नहीं मिलती
हासिल की जाती है
तू शायरों का भोग्या कलाम नहीं
न्याय संगत व्यवस्था का इंकलाब हैहे निर्मात्री तुझे सलाम!

#8मार्चअंतरराष्ट्रीयमहिलादिवस #महिलानिर्मात्रीहै #मंजुलभारद्वाज

3.
शाहीन बाग़ हैं !
- मंजुल भारद्वाज
वो कहते है
यह मुस्लिम महिलाएं हैं
मैं कहता हूँ
यह इंसान है
वो कहते हैं यह
अनपढ़ हैं
मैं कहता हूँ
यह समझदार है
वो कहते हैं
यह पिछड़ी हैं
मैं कहता हूँ
यह इल्म आईन के साथ हैं
वो कहते हैं
यह बुरखे में कैद हैं
मैं कहता हूँ
यह आज़ाद ख्याल
दृष्टि सम्पन्न ख़्वाब हैं
वो कहते हैं
यह गद्दार हैं
मैं कहता हूँ
वफादार हैं
देश के लिय
जान लुटाना जानती हैं
वो कहते हैं
यह कुरान मानती हैं
मैं कहता हूँ
धर्म से ऊपर उठ
वो संविधान मानती हैं
वो कहते हैं
यह चमन कर कालिख हैं
मैं कहता हूँ
यह न्याय,बराबरी का
इंकलाब हैं
वो कहते हैं
यह ख़ाक-नशीं हैं
मैं कहता हूँ
यह भारत का परचम लहरातीशाहीन बाग़ हैं !


#8मार्चअंतरराष्ट्रीयमहिलादिवस #शाहीनबाग़ #संविधान #मंजुलभारद्वाज

Saturday, March 7, 2020

भ्रम -मंजुल भारद्वाज

भ्रम
-मंजुल भारद्वाज
गज़ब विध्वंसक काल है
आंगन में अपनो की लाश पड़ी है
और मोशा कह रहे हैं
अफवाहों पर यकीन मत करो
जनता अपनी आखों देखी
भुगती हुई को नहीं स्वीकार रही
मोशा के विष पर विश्वास किए बैठी है!

#भ्रम #मंजुलभारद्वाज

यह भारत है ! -मंजुल भारद्वाज



यह भारत है !
-मंजुल भारद्वाज
संविधान के मुखौटे लगाए
हिन्दू,मुस्लिम,सिख,इसाई
अपने मुखौटे उतार लो
अब जान लो,पहचान लो
यह भारत है,भारत
हिन्दू,मुस्लिम,सिख,इसाई
या अन्य किसी धर्म के
मानने वालों का देश नहीं
यह भारतीयों का भारत है
जो भी इसे हिन्दू और मुसलमान का
देश बनायेगा
वो संविधान के साथ गद्दारी करता है
भारत के साथ गद्दारी करता है
आपके हिन्दू होने को
मुसलमान होने को कोई
ब्लैकमेल ना कर पाए
आपकी धार्मिक भावनाओं का
सत्ता के लिए दुरूपयोग ना कर पाए
इसलिए संविधान है
आपकी धार्मिक पाकीज़गी को
सम्मानित करते हुए
सबका मान सम्मान रखते हुए
पर आप भावावेग में
हर बार संविधान की अवहेलना करते हो
अपने व्यक्तिगत धर्म के उन्माद में
संविधान सम्मत प्रशासनिक
दायरे को लांघ जाते हो
व्यक्तिगत और सार्वजनिक
दायरों के फ़र्क को समझिये
हिन्दू,मुस्लिम,सिख,इसाई
होने के पहले भारतीय बनिये
भारत भारतीयों का है
किसी विशेष धर्म का नहीं !
#भारत #भारतीय #संविधान #मंजुलभारद्वाज

जब अर्थव्यवस्था हिन्दू हो जाती है! -मंजुल भारद्वाज

जब अर्थव्यवस्था हिन्दू हो जाती है!
-मंजुल भारद्वाज
मेहनतकश जनता ने अपनी कमाई की
पाई पाई बचा बैंक में जमा कराई
मोशा ने नोटबंदी की
देश का कारोबार ठप्प हो गया
अर्थव्यवस्था चरमराई
जीडीपी धड़ाम से गिर गई
मोशा ने पूंजीपतियों से चंदा माँगा
गुप्त बांड का काला कानून
संसद की बहुमत वाली भीड़ से पारित कराया
पूंजीपतियों ने बैंकों से लोन लिया
गुप्त बांड से मोशा की पार्टी को दान किया
जितना चंदा आज मोशा की पार्टी के
खाते में जमा है
वो कुल डूबते बैंकों की रकम जितना है
मोशा के लिए मेहनतकश जनता
हिन्दू बन जाती है
रोते बिलखते सोचती है
मोशा ने किया है तो ठीक ही है
मोशा से मुक्ति
देश,संविधान बचाने की युक्ति
पर जब तक जनता हिन्दू है
तब तक मोशा की तानाशाही रहेगी
जिन दिन जनता अपने हिन्दू होने से
ऊपर उठ भारतीय बनेगी
उस दिन चुटकी में
मोशा का बर्बर साम्राज्य
ताश के पत्तों सा बिखर जाएगा!


#डूबतेबैंक #अर्थव्यवस्था #बिलखतेहिन्दू #मोशा #मंजुलभारद्वाज

Friday, March 6, 2020

Yes, ना होली खेलूँगा ना खेलने दूंगा! -मंजुल भारद्वाज

Yes, ना होली खेलूँगा ना खेलने दूंगा!
-मंजुल भारद्वाज
हिन्दुओं ने विकास की लालच में
अँधा हो मोशा को चुना
मोशा ने कहा जवाबदेही,
जवाबदारी और सरकार से
सवाल पूछने वालों को
पैसे पैसे का मोहताज़ कर
तड़पा,तड़पा कर मारूंगा
#PMC और #YES बैंक वालो
देख लो
खुश नहीं रहने दूंगा
ना होली खेलूँगा
ना होली खेलने दूंगा !


#हिन्दुओं #मोशा #मंजुलभारद्वाज

अहिंसा भारत की भाग्य विधाता है -मंजुल भारद्वाज

अहिंसा भारत की भाग्य विधाता है
-मंजुल भारद्वाज
गाँधी गांधी मत जपो
सेमिनारो,शोधपत्रों में
गांधी को मत निपटाओ
अरे गांधी के उपासको
साहस है तो जनता के बीच
जनता से गांधी पर विमर्श करो
पर तुम वो नहीं कर सकते
गांधी के उपासको मूलतः
तुम कायर हो
ना तुम खुद को
सरेआम ताल ठोक
सनातनी हिन्दू कह सकते हो
ना मुसलमान
तुम ना राम के हो
ना अल्लाह के
तुमने गांधी पढ़ा है
जीया नहीं
तुम विकास युग के पढ़े लिखे
अनपढ़ अंधभक्त हो
नैतिकता और संविधान को बेच
समाज में प्रतिष्ठा कमाने वाले
भूमंडलीकरण के पुजारी हो
मैं आगाह कर दूँ
संविधान को बचाने वालों को
संविधान गांधी की राजनैतिक
ज़मीन पर खड़ा
नेहरु पोषित
आंबेडकर के भारत का ख़्वाब है
आज जनता में विकारी संघ ने
गाँधी वध के बाद
पैदा पीढ़ी में विष भरा है
मोशा को बहुमत उसी का परिणाम है
आओ गांधी की राजनैतिक ज़मीन को
पुन: हासिल करें
विषयुक्त जनमानस को
आत्मबल,विचार,प्रेम
भाईचारे,सौहार्द और विवेक से
विष मुक्त करें
विष नहीं विश्वास ही
सत्य का परचम लहराता है
हिंसा नहीं अहिंसा ही
भारतीय विविधता की
भाग्य विधाता है!


#गाँधी #मंजुलभारद्वाज

मोशा का नरसंहार! -मंजुल भारद्वाज

मोशा का नरसंहार!
-मंजुल भारद्वाज
दिल्ली को मोशा सरकार ने
सता पिपशुता के लिए जलाया
पुलिस की आँख,नाक,कान
मुंह पर कपड़ा ठूस
जज का तबादला कर
अपने गुंडों से
लोक वाले तंत्र का
गला घोट दिया
भीड़तंत्र के जयकारे वाले
अपने पत्तलकारों को
हिन्दू मुस्लिम के नाम
उनके ख़ूनी खेल को
मुनाफ़ाखोरी के लिए छोड़ दिया
बुद्धिजीवी वर्ग समझे
राम और रहीम को ना घसीटे
जनता को ना भरमाए
दिल्ली में इंसानियत का कत्लेआम
हिन्दू मुस्लिम फ़साद नहीं
मोशा का जनता पर हमला है
मोशा ने ऐलान किया है
CAA,NRC,NPR के सत्याग्रह
अहिंसात्मक प्रतिरोध को
वो नरसंहार से निपटा देंगे
इतिहास में दर्ज है
जनता को नरसंहार से निपटाने वाले
विकारी संघ और उसके लोकप्रिय गुर्गे
खुद खाक़ हो गए
हाँ भेड़ों का कटना तय है
जनता बचेगी
संविधान को बचाएगी!

#मोशानरसंहार #जनता #संविधान #मंजुलभारद्वाज

Thursday, March 5, 2020

" पर्यावरण " -मंजुल भारद्वाज

" पर्यावरण "
-मंजुल भारद्वाज

पंचतत्व
वायु,जल,अग्नि
मिटटी और आकाश
मूल है मनुष्य का
इसी से जन्म कर
इसी में मिलना
नियति है मनुष्य की
मनुष्य के सुंदर जीवन के लिए
इन पाँचों का संतुलित होना अनिवार्य है
मनुष्य ने आधुनिकता और वैज्ञानिक उन्नति से
इन पाँचों को असंतुलित किया है
जरूरत और लालच का टकराव है
पृथ्वी मनुष्य की जरूरतों के लिए
संसाधन सम्पन्न है
पर लालच के लिए नहीं
लालच ने मनुष्य की बुद्धि को
अपनी गिरफ्त में ऐसा लपेटा है
उसको विध्वंस विकास नजर आता है
मनुष्य का मन दूषित हो गया है
मन दूषित तो पर्यावरण प्रदूषित
पर्यावरण मतलब वातावरण
पर्यावरण मतलब परिस्थिति
मनुष्य ने अपने जीने के आवरण
यानि पर्यावरण को ध्वस्त कर दिया है
मनुष्य ने प्रकृति के खिलाफ़
युद्ध छेड़ रखा है
यह युद्ध है जल,जंगल ज़मीन
और
उसको बचाने वालों के खिलाफ़
जंगल के रक्षक, जगंली प्राणी
शेर से लेकर लोमड़ी तक
आदिवासी से लेकर गाँव तक
सब विकास की भेट चढ़ गए हैं
वातावरण मतलब वा, ता ,वरण
वा से वायु
ता से तापमान
वरण मतलब चुनाव
आज मनुष्य ने वायु को प्रदूषित किया
जिससे तापमान बिगड़ा
और उसने चुना प्राकृतिक प्रकोप
मनुष्य आज अपनी बुद्धि भ्रम से
ऐसी परिस्थिति में है
एक मुसीबत से बचने के लिए
दूसरी मुसीबत में फंस जाता है
जल बचाने जाता है
तो ज़मीन को खा जाता है
ज़मीन बचाने जाता है
तो जल को बर्बाद कर देता है
उसका विकास का हाईवे
जंगल,पेड़,पहाड़ी
और खेत खलिहानों को रौंद कर बने
वायु और ध्वनि का प्रदुषण के केंद्र हैं
जंगल नहीं रहे तो तापमान बढ़ा
तापमान बढ़ा तो वर्षा चक्र बिगड़ गया
कभी कहाँ कितना और क्यों बरसेगा
इसका किसी को पता नहीं
इतना पानी बरसा की
एअरपोर्ट पर नाव चली
शहर की सडकों पर नाव चली
चारों ओर बाढ़ से तबाही मची
भू जल को इतना पी गए
अब सूखे की मार से निपट गए
वायु प्रदुषण से साँसों में
जहर घोल लिया
हाँ
हमने प्राकृतिक संसाधनों को बेच
विकास को मोल ले लिया !

#पर्यावरण #जीवन #मंजुलभारद्वाज #थिएटरऑफरेलेवन्स

कभी फुर्सत मिले तो सोचना ! -मंजुल भारद्वाज

 कभी फुर्सत मिले तो सोचना ! -मंजुल भारद्वाज तुम स्वयं  एक सम्पति हो  सम्पदा हो  इस पितृसत्तात्मक व्यवस्था में  कभी पिता की  कभी भाई की  कभी ...