शिव सृष्टि का प्रथम अर्बन नक्सल है!
-मंजुल भारद्वाज
तुम मर रहे हो पल पल
ओ महान सभ्यता के उतराधिकारी
घुट घुट कर अपने पिंजरे में
हर रोज़ अपने पंख काट रहे हो
सृष्टि को बचाने के लिए
त्रिनेत्र खोलने वाले शिव के उपासको
तुम अपने सारे नेत्र बंद किए
एक महान देश को
मौत के कुएं में धकेल रहे हो
किसलिए?
किसकेलिए?
एक भस्मासुर के लिए?
ज्ञात है तुम्हें भस्मासुर का
आतंक और अंत
अपना सर्वस्व त्याग कर
प्रतिरोध करने वाली
मिटटी से जन्में भूमिपुत्रों
स्मरण रहे आदिकाल से
शिव प्रतिरोध का सूत्र है
आज की शब्दावली में अर्बन नक्सल
हमारी भक्ति परम्परा है
भक्त भगवान से लड़ जाते हैं
भगवान से सवाल करते हैं
भगवान से तर्क करते हैं
भगवान से डरते नहीं
प्रेम करते है
हे भक्ति परम्परा के वंशजो
उठो अब एक छद्म अवतार से
सवाल करो
भेड़ और भक्त के अंतर को समझ
अपने अंत से पहले
भस्मासुर का हाथ उसके सर रखवा दो
अपने महान देश के लिए
भस्मासुर को भस्म करो
यही शिव की भभूत है
और तुम्हारे लिए संजीवनी!
#शिवसृष्टिकाप्रथमअर्बननक्सलहै #मंजुलभारद्वाज
No comments:
Post a Comment