मंजुल भारद्वाज कविता कोश - Manjul Bhardwaj Poetic Vision

▼
Thursday, August 31, 2023

कभी फुर्सत मिले तो सोचना ! -मंजुल भारद्वाज

›
 कभी फुर्सत मिले तो सोचना ! -मंजुल भारद्वाज तुम स्वयं  एक सम्पति हो  सम्पदा हो  इस पितृसत्तात्मक व्यवस्था में  कभी पिता की  कभी भाई की  कभी ...

मनुष्य के अंदर धर्म कितना ज़हर भरता है - मंजुल भारद्वाज

›
मनुष्य के अंदर धर्म कितना ज़हर भरता है वो इस ज़हर से  मोहब्बत को मारता है प्रेम से बड़ा है वर्ण प्रेम के हत्यारे हैं जात और धर्म  इंसानियत क...

गांधी पथ वहीं ठहरा रहा .... -मंजुल भरद्वाज

›
 गांधी पथ वहीं ठहरा रहा .... -मंजुल भरद्वाज  नीति के लिए  संघर्ष करने वाले  धड़े,गुट,गिरोह में  विभाजित हो  पथभ्रष्ट हो गए ! गांधी गांधी जपते...

एक और भगवान का घर ! - मंजुल भारद्वाज

›
एक और भगवान का घर ! - मंजुल भारद्वाज  कहा जाता है  हर जगह ईश्वर है फ़िर उसे झूठला दिया जाता है मंदिर ,मस्जिद,गिरजाघर को भगवान का घर बताया जा...

शिक्षित कौन है ? - मंजुल भारद्वाज

›
शिक्षित कौन है ? - मंजुल भारद्वाज शिक्षित कौन है? पढ़ना लिखना सीखकर धर्म  वर्णवाद  जात को मानने वाले ? शिक्षित कौन है? धर्मांध हो मजहबी नफ़र...

केमिकल लोचा है भाई ! - मंजुल भारद्वाज

›
केमिकल लोचा है भाई ! - मंजुल भारद्वाज मुन्ना भाई ने  बापू के बारे में  चार बातें पढ़ी  और  मुन्ना गांधीगिरी करने लगा मुन्ना को विश्वास हो गया...

अंधकार, अन्धकार, अंधकार ! -मंजुल भारद्वाज

›
 अंधकार, अन्धकार, अंधकार ! -मंजुल भारद्वाज एक सनकी प्राणी  जो मनुष्य के भेष में  अब तक चुनाव जीतता आया है  अब चुनाव हारने वाला है  चुनाव हार...
›
Home
View web version

About Me

My photo
Articles on Theater of Relevance
About Theatre of Relevance Fundamentals of Theatre of Relevance • A Theatre that commits its creative excellence to make the world more “Better & Humane”. • A Theatre relevant to the context of the society and owes its responsibility, not to Art just for the Art sake. • A Theatre caters to human needs and provides itself as a platform for expression. • A Theatre that explores itself as a medium of constructive change and/or development. • A Theatre that comes out from the ‘limits of entertainment’ to a way of living & empowerment. What is Theatre? “Theatre is a performance (an expression) of human thoughts, feeling, experience and it’s purpose” ----- Manjul Bhardwaj
View my complete profile
Powered by Blogger.