मौसम ख़राब होने से
हुनर का परिंदा नहीं रुकता
जितना ख़राब मौसम
उतनी ऊंची उड़ान भरता है
हर बार एक नया कीर्तिमान रचता है
वो अपने तेज़ से
संसाधनों का निर्माण कर
विषमता मिटा
समता,न्याय और विवेक की लौ को
प्रज्वलित करती है!
- मंजुल भारद्वाज
कभी फुर्सत मिले तो सोचना ! -मंजुल भारद्वाज तुम स्वयं एक सम्पति हो सम्पदा हो इस पितृसत्तात्मक व्यवस्था में कभी पिता की कभी भाई की कभी ...
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