Thursday, March 24, 2022

अहिंसा का पथ - मंजुल भारद्वाज

 अहिंसा का पथ 

- मंजुल भारद्वाज

अहिंसा का पथ   - मंजुल भारद्वाज

एक जासूस ने युद्ध छेड़ा है

एक व्यापारी देख रहा है

एक तानाशाह मौन है

मानवीय अधिकारों 

सभ्यताओं के पैरोकार 

बिलबिला रहे हैं 

बम धमाकों, मिसाइलों से

बरसती आग 

इंसानियत को भस्म कर रही है

नोबेल और आइंस्टाइन अपनी कब्र से 

विज्ञान लीला देख रहे हैं

लाचार,लचर,बेबस संयुक्त राष्ट्र संघ

अपनी निरर्थकता का परचम लहरा रहा है

सर्वाइवल ऑफ़ द फिटेस्ट के अपने आकलन पर

डार्विन मुस्कुरा रहा है !

जासूस अणु बम की धमकी दे रहा है

टॉलस्टाय,चेखव,गोर्की अपनी रचनाओं के

फंदों में झूल रहे हैं

रूजवेल्ट मुस्कुरा रहा है

नाकासाकी ,हिरोसिमा की रूहें कांप रही हैं

हिंदू राष्ट्र का तानाशाह

जासूस के तेल की बूंदों से स्नान कर 

शांति सन्देश दे रहा है

दुनिया भर में रूपर्ट मर्डोक का मुनाफाखोर मीडिया

युद्ध में मुनाफा कमा

दिवाली मना रहा है !

आधुनिक सभ्यताओं के खोखलेपन 

और विज्ञान के हिंसक रूप को

गांधी समझ चुके थे

हिंसा मुक्ति नहीं देती 

इंसानियत को खत्म करती है के मर्म को जान चुके थे

युद्ध में उलझी हिंसक लाशों को

गांघी विवेक ज्ञान के आलोक में

अहिंसा का पथ दिखा रहे हैं !

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