क्यों?
- मंजुल भारद्वाज
सुबह मंदिर में घंटी बजा कर
राम राम भजते हो
धर्म रक्षा का शंख बजाते हो
आप पर अधर्मी राज करते हैं
क्यों इसका विचार नहीं करते?
क्योंकि आस्था की अंधी गह्वर
आपकी तर्क शक्ति को मूर्छित कर देती है
आप ना धर्म की रक्षा कर पाते हो
ना राम से जुड़ पाते हो
बस कर्मकाण्ड के चक्रव्यूह में उलझ
शरीर छोड़ जाते हो !
आप स्कूल जाते हो
कॉलेज,यूनिवर्सिटी में
सालों साल शिक्षा प्राप्त करते हो
नौकरी करते हो
पर किसकी नौकरी करते हो?
अनपढ़ आप पर राज करता है
अनपढ़ आपके लिए शिक्षा नीति बनाता है
आप कभी विचार नहीं करते की
अनपढ़ क्यों आप पर राज कर रहा है?
क्योंकि आपने शिक्षा पेट भरने के लिए पाई है
विचार करने के लिए नहीं !
आप व्यापार करते हो
जुगत लगाते हो
ग्राहक को लुटते हो
खुशहाल रहते हो
लुटेरा आप पर राज करता है
वो आपको लूटकर चुनाव लड़ता है
आप कभी क्यों नहीं सोचते की
आप व्यापार नहीं करते
लूटने और लुट जाने का धंधा करते हो?
अध्यात्म से जुड़ते हो
सत्य खोजने का प्रण करते हो
पर क्यों नहीं सोचते ?
झूठा आप पर राज करता है
क्योंकि आप सार्वजनिक सत्य और शांति को नहीं
व्यक्तिगत सच को शांति समझते हो
अपने लिए जीता हूं को सच मान
सुख की कल्पना करते हो
आप भ्रम और पाखंड के शिकार हो
आप समाज,देश,दुनिया के बोध से अनभिज्ञ हो
सच और शांति व्यक्तिगत नहीं सार्वभौमिक होते हैं !
अधर्म ,अनपढ़ , हिंसक और झूठों के राज में जीते हुए
धर्म,शिक्षा,अहिंसा और सच को खोजते हो
पर सच ,न्याय , समता का राज नहीं स्थापित करते
क्यों ?
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