कश्ती
-मंजुल भारद्वाज
तूफानों के बीच
मैंने चाहत की
कश्ती सजाई है
भंवर से साहिल तक
चुनौतियों की
महफ़िल रानाई है!
लहर दर लहर
रूमानियत की हवाओं ने
महबूब से मिलने की
रस्म निभाई है!
होंगें बने बनाए
जहाँ में गुजर बसर करने वाले
हमने तो
नई दुनिया बनाई है!
बेचैनियों में
मौजों की रवानी है
काल के पतवार पर
वक्त को गढने की
रीत चलाई है!
#कश्ती #मंजुलभारद्वाज
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