Saturday, November 9, 2019

आर-पार -मंजुल भारद्वाज

आर-पार
-मंजुल भारद्वाज
आर एक छोर
पार दूसरा छोर
एक संध्या दूसरा भोर
है आर-पार!

देह से आत्मा
आत्मा से देह की
यात्रा है आर-पार!

अमूर्त से मूर्त
मूर्त से अमूर्त की
सृजन प्रक्रिया है आर-पार!

प्रेमी-प्रेमिका
मिलन-बिछोह चक्र को
भेदता प्रेम है आर-पार!

पारदर्शक
सम प्रकृति
सीमाओं के ध्वंस का
मार्ग है आर-पार !

देख लूँगा,देख लूँगी
बता दूंगा,बता दूंगी
आज न्याय करने का प्रण
भावनाओं का संतुलन
अहं की तुष्टी
कुछ कर दिखाने का अहसास
है आर-पार!
#आरपार #मंजुलभारद्वाज

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