ज्ञान और जीवन लक्ष्य के काल कोण से निर्धारित होती है परछाई!
-मंजुल भारद्वाज
अपनी परछाई से
मुक्त होना चाहता है
व्यक्ति,समूह,समाज
हो नहीं पाता
ताउम्र अपने तमस से
द्वंद्व कर संसार त्याग
शरीर छोड़ देता है
परछाई से मुक्त नहीं होता
परछाई का प्रकाश से
अटूट संबंध है
प्रकाश से संचालित
होती है परछाई
प्रकाश यानी ज्ञान
छाया यानी तम
तमसो मा ज्योतिर्गमय
जीवन का मूल है
वसुंधरा का प्राण है जीवन
वसुंधरा सूर्य की परिक्रमा करती है
सूर्य ज्ञान का स्त्रोत
ज्ञान मनुष्य को अँधेरे से
मुक्त करता है
वसुंधरा के आंगन में
मनुष्य की परछाई
सूर्य और वसुंधरा के
काल कक्ष कोण से
निर्धारित होती है
सूर्य सर पर हो
तो परछाई पैरों के
तले होती है
नियंत्रित या विलुप्त होती है
सूर्य और वसुंधरा के
काल कक्ष कोण की भांति
मनुष्य का ज्ञान और जीवन लक्ष्य
जीवन के उजाले-अँधेरे
तय करते हैं
ज्ञान का काल कोण
जीवन के लक्ष्य को
संचालित करे तो
जीवन कल्याणकारी
परछाई यानी तममुक्त होता है!
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