Thursday, November 7, 2019

मुंबई में हिंदी साहित्य का लोकार्पण! - मंजुल भारद्वाज

मुंबई में हिंदी साहित्य का लोकार्पण!
- मंजुल भारद्वाज
मुंबई में हिंदी साहित्य की मशाल थामें
कई हस्तियों को मैं सालों से देख रहा हूँ
वही साहित्य प्रेमी व्यवसायी वाला या सरकारी बैनर
वही वर्तमान या पूर्व सम्पादकों का मंच पर जमावड़ा
वर्षों से परम्परा अनवरत जारी है
मंच पर विराजमान विभूतियों की
बारी बारी से एक एक पुस्तक का
हर कार्यक्रम में लोकार्पण होता है
वही सालों से एक दूसरे के बारे में बोलते हैं
एक दूसरे के बारे में बोला गया
एक दूसरे के यहाँ छपता है
छपेगा ही क्योंकि सब खबरनवीस हैं
या राजभाषा अधिकारी
एक विशेष समूह का विशेष कार्यक्रम
हर महीने कहीं ना कहीं
किसी ना किसी रूप में
सालों से हो रहा है
हिंदी साहित्य की मशाल जलाए
पर हिंदी अखबार,हिंदी पत्रिका, हिंदी पाठक बढ़े?
हिंदी विकसित हुई की विशेष विभूतियाँ ?
पुस्तक लोकार्पित होती है तो पाठक के बिना
क्या कोई उसका अर्थ है?
इन कार्यक्रमों में पुस्तक पर विशेष रूप से
टिप्पणी करने वाला विद्वान भी मौजूद रहता है
पर पाठक का कोई मनोभाव
ना मंच से सुनाई देता है
ना कहीं खबर में पढने को मिलता है
दरअसल यह एक सत्ता का केंद्र है
जहाँ पाठक यानी जनता की
कोई जगह नहीं होती
बस उसके नाम पर साहित्य रचा जाता है
हिंदी की सेवा की जाती है
बा हैसियत सम्पादक या राजभाषा अधिकारी!
#हिंदीसाहित्य #मुंबई #मंजुलभारद्वाज

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