Friday, November 1, 2019

विज्ञापन की झूठ - मंजुल भारद्वाज

विज्ञापन की झूठ
- मंजुल भारद्वाज
पढ़े लिखे भारत में है
विज्ञापन की झूठ
पूंजीवादी सत्ता की सबसे बड़ी लूट
हिंसा,अन्याय,शोषण,अत्याचार,
भूमंडलीकरण के दौर में
विज्ञापन है एक हथियार
जुमलों के बाज़ार में
मध्यमवर्ग बेच और खरीद का मोहरा है
अपने ही ड्राइंगरूम में
विज्ञापन के झूठ से
अपनी मुक्ति के सपने देखता है
खुलेपन के दौर में झूठ का बोलबाला है
चारों तरफ़ बस पढ़े लिखे लोगों का
स्वयं प्रायोजित विज्ञापनों का घोटाला है!
#विज्ञापन #मंजुलभारद्वाज

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