अग्नि
-मंजुल भारद्वाज
संवेदनाओं पर जमी
बर्फ़ को पिघलाती
सर्द आहों के बीच जलती
प्रेम अग्न !
इश्क़ में सुलगता दिल
जिस्म की तपिश
पेट की आग़
मोहब्बत का जलता चराग़ !
नफ़रत के धुएं से घिरा
ईर्ष्या में जलता विकार
चैतन्य में तपता विचार
अमन के लिए जली मोमबत्ती !
जीवन अग्न लिए
वसुंधरा के गर्भ में
पलता
धधकता लावा !
मौत का जश्न मनाती चिता
अपने को
सूर्य में तपाती अग्नि
सबको मुक्त करती है!
#अग्निसबकोमुक्तकरतीहै #मंजुलभारद्वाज
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