Thursday, February 23, 2023

उगा था वो अंतर्मन में - मंजुल भारद्वाज

 उगा था वो अंतर्मन में 

- मंजुल भारद्वाज
उगा था वो अंतर्मन में   - मंजुल भारद्वाज


मैं एक सदी जी आया 
ढाई आखर प्रेम के 
अपनी रूह पर लिख आया 
उगा था वो अंतर्मन में 
अपने होने की खुशबू से 
मैं उसके वजूद को महका आया 
अपने अहसास की तरंगों से 
मैं सदा सदा के लिए 
उसको रंग आया !

No comments:

Post a Comment

कभी फुर्सत मिले तो सोचना ! -मंजुल भारद्वाज

 कभी फुर्सत मिले तो सोचना ! -मंजुल भारद्वाज तुम स्वयं  एक सम्पति हो  सम्पदा हो  इस पितृसत्तात्मक व्यवस्था में  कभी पिता की  कभी भाई की  कभी ...