Tuesday, February 28, 2023

तुम कह दो ना ! -मंजुल भारद्वाज

तुम कह दो ना !
-मंजुल भारद्वाज
तुम कह दो ना ! -मंजुल भारद्वाज

 
तरंगों को साधता हुआ 
वो कौन सा स्वर है 
नकारात्मक रूहों को 
मुक्त करता वो 
कौन सा प्रलाप है 
भटकती उर्जा को 
रचनात्मक दिशा देता 
वो कौन सा आलाप है
रंग से रंगभूमि में 
प्राण फूंकता वो 
कौन सा साज है 
वास्तु के निर्जीव हिस्सों को 
सजीव करता 
वो कौन सा नाद है 
अमूर्त से मूर्त को जोड़ती
मूर्त को अमूर्त से मिलाती 
वो कौन सी आवाज़ है 
दर्शक चेतना में 
कल्पनाओं का रंग भर
जीवन को खूबसूरत बनाता 
वो कौन सा 
दृष्टि और सृष्टि संगम है 
तुम कह दो ना !

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