जन गन मन !
- मंजुल भारद्वाज
एक तानाशाह का अहंकार
खत्म करे सबके अधिकार
जन गन के मन में भरे
द्वेष,हिंसा और विकार !
झूठ,फ़रेब,पाखंड,प्रोपोगेंडा
फूट डालो राज करो इसका फंडा
हिन्दू मुस्लिम
सवर्ण दलित
महिला पुरुष
हर एक को एक एक कर कूटा !
हिन्दू अपने गर्व में ध्वस्त हो गया
मुसलमान इस्लाम ख़तरे में धंस गया
दोनों बर्बाद हुए
दोनों को बर्बाद करने वाला
गद्दी पर बैठ मालामाल हुआ !
जनता के हत्यारे ने
हाथों में धर्म ध्वज लिया
हर हत्या को धर्मयुद्ध बताया
सत्ता तक पहुँचने का कत्त्लेआम
अब सरेआम है !
उसका हर ज़ुल्म चीख रहा है
सुनो चीखें गुजरात की
नोट बंदी से मरते
बच्चों और बुजुर्गों की
लहुलुहान पैदल चलते
भूख से मरते मजदूरों की
लॉक डाउन में मरती अवाम की
अस्मत लुटी बेटी की !
आधी रात में
संस्कारों-संस्कृति की
जलती चिता से
निकलती चीखें सुनो !
अब किसान जवान एक हों
हिन्दू मुसलमान एक हों
मज़दूर,युवा एक हों !
हम भारत के लोग
अपना संवैधानिक फर्ज़ निभाएं
सत्ताधीश से जवाब लें
हर गुनाह का हिसाब लें !
जब जनता मर रही थी
तब उसके यार पूंजीपति
क्यों मालामाल हुए?
क्यों देश की सम्पति बेची गई?
बहुत हुआ अब और नहीं
उतारो गद्दी से
करो दर्ज़ एफ आई आर
देश की हो यह पुकार !
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