Monday, December 26, 2022

जुस्तजू - मंजुल भारद्वाज


 जुस्तजू 

- मंजुल भारद्वाज


मेरे कोहरे को छांटती

हल्की धूप हो तुम !

पलकों से झरती

मर्म की शबनम हो तुम !

मेरी जुस्तजू

मेरे ख्वाबों की ताबीर हो तुम !

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