Tuesday, March 29, 2022

विकास की सड़क पर गाँव पिट रहा है! -मंजुल भारद्वाज

 विकास की सड़क पर गाँव पिट रहा है!

-मंजुल भारद्वाज

विकास की सड़क पर गाँव पिट रहा है!  -मंजुल भारद्वाज

  

एक गाँव था 

एक मकान था 

एक गली थी 

मिडिल क्लास तक

एक स्कूल था 

हाई स्कूल के लिए 

दूसरे गाँव गया 

यूनिवर्सिटी के लिए 

शहर गया 

शहर से सीधे महानगर 

महानगर से देश विदेश 

गाँव का एक एक बच्चा 

अपनी दहलीज़ छोड़ता रहा 

डगर डगर नगर नगर 

भटकता रहा 

पेट की आग़ में जलता रहा 

कोई कलेक्टर बना 

कोई चाय बेचकर प्रधानमंत्री

सब अमीरों की सेवा में खप्प गए 

महानगरों के गंदे नालों पर 

झोपडी बसा पलते रहे 

धीरे धीरे भूमंडलीकरण 

गाँव पहुंच गया 

बचा खुचा खेत भी बिक गया 

सब नगरों महानगरों की 

भेंट चढ़ गया 

एक गांधी था जो 

ग्राम स्वराज लिख गया 

आज देश का कानून 

गाँव लौटते 

गांधी के गाँव वाले को

सड़क पर कूट रहा है 

जन जन सड़क पर लुट रहा है 

एक धर्मांध तानाशाह

राजमहल में टीवी पर 

रामायण देख रहा है 

गांधी मौन है 

जय श्रीराम का शोर हैं!

#गाँव #गाँधी  #मंजुलभारद्वाज

No comments:

Post a Comment

कभी फुर्सत मिले तो सोचना ! -मंजुल भारद्वाज

 कभी फुर्सत मिले तो सोचना ! -मंजुल भारद्वाज तुम स्वयं  एक सम्पति हो  सम्पदा हो  इस पितृसत्तात्मक व्यवस्था में  कभी पिता की  कभी भाई की  कभी ...