अभिमन्यु का निर्णय
- मंजुल भारद्ववाज
दृष्टि के 360 डिग्री गोलाकार
सर्वव्यापक,समग्र सृष्टि के रचने की
प्रतिबद्धता का परचम लहराते हुए योद्धा
संसार को कलात्मक मुक्ति का
गीता उपदेश दे,
विजय पताका फहराते हुए
अपने संसार में लौट आये
तत्व,व्यवहार,प्रमाण और सत्व का चतुर्भुज लिए
मंथरा ने अपनी भूमिका निभाई
कैकयी ने मध्यमवर्गीय
आन बान शान के हनन के जुर्म में
अभिमन्यु को ‘निर्णय’ के
चक्रव्यहू में घेर लिया
चतुर्भुज सता संघर्ष में
त्रिकोण को गया,
सत्व का कोण छिटक गया
पितृसत्तात्मकता के डंडे पर
तत्व और प्रमाण
आरोप प्रत्यारोप में उलझ गए
देखते ही देखते व्यवहारिकता ने
अपना दामन फ़हरा दिया
घर आँगन खुशियों से भर गया
अभिमन्यु के समर्पण करते ही
मंथरा और कैकयी ने अपने होने का जश्न मनाया
मौसमी बरसात में ‘संसार’ की खुशियाँ लौट आई
चतुर्भुज के तत्व, प्रमाण और सत्व
महानगर के गंदे नालों में बह गए
हाँ व्यवहारिकता का पितृसत्तात्मक डंडा
सुखी ‘संसार’ के दरवाज़े पर
मजबूती से प्रगतिशीलता का
राग अलाप रहा है !
क्रांति क्रांति क्रांति मात्र एक बिंदी के
रूप में माथे पर सजती है
सांस्कृतिक चेतना मौसमी
बादलों की चादर में छुप कर देखती है
सता संघर्ष का ये नायाब खेल
वो लोग खेलते हैं
जो हर पल कहते हैं
मेरा ‘राजनीति’ से कोई लेना देना नहीं
हाँ , उनकी बात सही भी है
बेचारे मध्यमवर्गीय...बस अपने
संसार के विकास को सबका विकास मानते हैं !
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