क्यों? से प्रेम करो
-मंजुल भारद्वाज
क्यों से भागिए मत
क्यों? से प्रेम करो
क्यों आपके अंतर्द्वन्द्व को
अंतर्ध्वनि से जोड़ता है
प्रकाशित करता है चेतना
चेतना उड़ान भरती है
अंधेरों को उज्जवलित करने के लिए
अज्ञात को खोजते हुए
आपके भीतर तंत्र का निर्माण करती है
जिससे घूमता है ‘काल’ का चित्र
चित्र बदलता है नए चित्र का निर्माण करते हुए ,
काल को गढ़ते हुए
आप सुनते हो अपना सृजन संगीत
एक बेहतर और मानवीय
विश्व का सृजन करते हुए !
...
#क्यों #विश्व #काल #चेतना #मंजुलभारद्वाज
No comments:
Post a Comment