Tuesday, July 23, 2019

ये गा गा है जीवन का -मंजुल भारद्वाज

ये गा गा है जीवन का
-मंजुल भारद्वाज 


ये गा गा है जीवन का 
उसके अलग अलग हिस्से हैं 
हर एक हिस्सा निराला है

एक हिस्सा बच्चों का है 
आँख है उसका आकार
जिसमें हैं जीवन के सपने अपार
मस्ती,कौतुहल,जिज्ञासा 
नादानी,शरारत,भोलापन 
रोना,हंसना,गाना,रूठना 
झुला,घसरपट्टी,सी-सॉ
उछलकूद, भागम भाग, पकड़ा पकड़ी 
अलग अलग आवाजों की किलबिलाहट
ढेर सारी माताएं,एक आध पिता
कहीं दादा दादी,नाना नानी 
पूरे अनुभव के साथ नाच रहे हैं 
इन मासूम बच्चों के इशारों पर 
पर ये अगाध,बेलाग उर्जा 
जीवन की लहर, उनकी बंदिशों के 
किनारे तोड़कर अपने हौंसले 
विश्वास को बढाती हुई 
अपनी आखों में जीवन लिए हुए

इस आँख के इर्दगिर्द हैं पगडण्डीयाँ 
जिस पर जीवन को नाप रहे हैं 
स्वस्थ शरीर का सपना लिए जिस्म 
आधे जागे, आधे सोये 
आधे इधर उधर झांकते हुए 
आधे अपने कानों में इयरफ़ोन 
लगाए नाप रहे हैं जीवन यात्रा

बीच बीच में जीवन को 
समझते,बुझते,प्रौढ
अपने चिंतन मनन से 
देश दुनिया को बदलने 
सपना और रणनीति पर 
चर्चा,बहस और संवाद करते हुए

एक सन्तूर के पास 
गोल बैठा महिला समूह 
बिल्कुल सन्तूर की तरह 
हंसता,खिलखिलाता हुआ 
टूटी शहनाई के पास बैठा समूह 
अपनी यादों को जोड़ता हुआ

बेंचों पर विराजमान बुजर्ग 
अपने जीवन सार को टटोलता हुआ 
उन्हीं के पास चटक पीले फूलों से लदा वृक्ष 
जीवन में बसंती रंग भरता हुआ

एक बेरी के पेड़ वाले कट्टे पर 
अधेड़ उम्र की ग्रहणियों का जमघट 
किसी पनघट की याद दिलाता हुआ 
अलग अलग घर की रसोई 
और जीवन दासता सुनाता हुआ

किसी कोने में अतृप्त,अभिशप्त 
कामुक, कुंठाग्रस्त विडंबनाओं का डेरा है 
उन पर सचेत निगाहों का पहरा है

तो कहीं नवा नवा शबाब 
अपने इश्क की दास्ताँ
लिख रहा है चोरी चोरी
कहीं पूरे आत्मविश्वास से 
जीवन बसाने का मजमून 
लिख रहा है कोई

हाँ मैं हूँ यहाँ 
ऊँगली पकड़े यादों की 
अपनी बेटियों के सवालों
मस्ती,भागदौड़,उनके 
गिरने,उठने,खेलने वाले 
विविध रंगों के साथ 
जी हाँ ये जीवन का गा गा है 
जीवन के समस्त रंग समेटे हुए !



#गागा #बगीचा #जीवन #मंजुलभारद्वाज

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