किताब
-मंजुल भारद्वाज
किवदंती ताबीर
वक्त की तस्वीर
अपने सीने में
समाए रहती है किताब
क्रिया,तथ्य,रंग
बेहद करीने से
अपने अंदर छुपाती है किताब
काल का ताप
कालखंड की बेताबी लिए
पाठक के जहन में
बदलाव लिखती है किताब!
#किताब #मंजुलभारद्वाज
कभी फुर्सत मिले तो सोचना ! -मंजुल भारद्वाज तुम स्वयं एक सम्पति हो सम्पदा हो इस पितृसत्तात्मक व्यवस्था में कभी पिता की कभी भाई की कभी ...
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