गांधी पथ वहीं ठहरा रहा ....
-मंजुल भरद्वाज
नीति के लिए
संघर्ष करने वाले
धड़े,गुट,गिरोह में
विभाजित हो
पथभ्रष्ट हो गए !
गांधी गांधी जपते
सत्यवीर हो गए
अपनी सुविधा से
गांधी की आड़ में छुप गए !
अवसर देख गांधी को
कुटिया में छोड़ आए !
गांधी पथ
किसी अदालत पर
खत्म नहीं होता
अपितु अदालतों के गुरुर
सर्वशक्तिमान ताक़त के
मकबरे को
अंतरात्मा के विवेक से रोशन करता है !
गाँधी उस विवेक का सार्वभौम स्वरूप है
जो जन पीड़ा की आहुति से
प्रज्ज्वलित होता है !
आत्म सुख से नहीं
जन पीड़ा की वेदना को
जीवन में उतार लेना
जन में विश्वास
जन के विश्वास की धुरी है
गांधी !
गांधी ने अपने
सत,सूत और सूत्र से
बुना था भारत का जनमत
जिस पर खड़ी है
भारत की बुनियाद !
आज भारत की बुनियाद
ध्वस्त हो रही है
जनमत मूर्छित है
जरूरत मात्र मीलार्ड के
आदेश पालन भर की नहीं है
जरूरत मूर्छितकोर्ट की
अंतरात्मा जगाने की है !
गांधी ने वही किया था
उसी से गुलाम जनता का डर भागा था
सत्याग्रह की बुनियाद है निडर होना
जनमानस का भयमुक्त होना !
आज गांधी बस एक सन्दर्भ बने
गाँधी पथ ...
वहीं ठहरा रहा
खैर हर सत्याग्रही को
अपने अपने हिस्से का
पथ गमन करना है !
गांधी राष्ट्रपिता है
इसलिए अपने इस्तेमाल से
दुखी नहीं होते
वो मुस्कुरा देते हैं !
हम गाँधी को अपनी तरह समझ लेते हैं
अपना अपना गांधी बाँट लेते हैं
समय की पुकार है
गांधी को समग्र समझने की
जीवन में गांधी को जीने की
हे गांधी !
#गांधी #मंजुलभरद्वाज
No comments:
Post a Comment