Thursday, August 31, 2023

मनुष्य के अंदर धर्म कितना ज़हर भरता है - मंजुल भारद्वाज

मनुष्य के अंदर धर्म

कितना ज़हर भरता है

वो इस ज़हर से 

मोहब्बत को मारता है

प्रेम से बड़ा है वर्ण

प्रेम के हत्यारे हैं

जात और धर्म 

इंसानियत के शत्रु हैं !

क्या कोई मिटा पाया है / पायेगा 

प्रेम के शत्रु को ?

या 

इतिहास इसी तरह 

मनुष्य के ज़हर से 

प्रेम की हत्या का 

साक्षी बनता रहेगा !

- मंजुल भारद्वाज

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