Saturday, August 26, 2023

घने कोहरे में ! -मंजुल भारद्वाज

 घने कोहरे में ! 

-मंजुल भारद्वाज




घने कोहरे में 

पसीजता मन 

भिगो देता है 

सारे जंगल को !

मोहब्बत की निशानियाँ 

चमकती हैं 

डाल डाल

पत्ती पत्ती

ओस की बूंद बनकर !

महबूब के नूर से 

जगमगाती है कायनात 

इंसानियत का पैगाम लिए 

खिलता.महकता है गुलशन 

पर्वतों से गिरते झरनों में 

प्रेम धुन बजाते हुए !

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