पानी
-मंजुल भारद्वाज
प्यासे का ख़्वाब
आब-ए-हयात है पानी!
आँखों में बसा ईमान
पूरी कायनात की मुराद है पानी !
सब्ज़ा का शबाब
बहते दरिया का रुबाब है पानी !
वसुंधरा का श्रृंगार
रूह में जलता चराग़ है पानी !
फ़ोटो : Dhananjay Kumar
कभी फुर्सत मिले तो सोचना ! -मंजुल भारद्वाज तुम स्वयं एक सम्पति हो सम्पदा हो इस पितृसत्तात्मक व्यवस्था में कभी पिता की कभी भाई की कभी ...
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