Saturday, May 21, 2022

एक बूंद -मंजुल भारद्वाज

 एक बूंद 

-मंजुल भारद्वाज 

एक बूंद   -मंजुल भारद्वाज


एक बूंद आँख में शर्म

एक बूंद सहअनुभूति

एक बूंद दर्द  

एक बूंद ज़मीर

एक बूंद अहसास 

एक बूंद प्रकृति 

एक बूंद विवेक

इंसानियत को ज़िंदा

रखने के बहुत है 

मौत के इस वीराने में 

बस वो एक बूंद नहीं मिलती!

#एकबूंदसहअनुभूति  #मंजुलभारद्वाज

No comments:

Post a Comment

कभी फुर्सत मिले तो सोचना ! -मंजुल भारद्वाज

 कभी फुर्सत मिले तो सोचना ! -मंजुल भारद्वाज तुम स्वयं  एक सम्पति हो  सम्पदा हो  इस पितृसत्तात्मक व्यवस्था में  कभी पिता की  कभी भाई की  कभी ...