Sunday, July 17, 2022

जिस्म खोलता रहा - मंजुल भारद्वाज

जिस्म खोलता रहा

- मंजुल भारद्वाज


जिस्म खोलता रहा  - मंजुल भारद्वाज

 

बाज़ार के पैकेज में बंधे युवा

ऐ लाइफ इन मेट्रो

जीने लगे

बाज़ार की शर्तों को

अपना कैरियर समझने लगे

ओह शीट 

ओह माय गॉड 

ज्ञान मत दे यार 

विल कैच यू लेटर के

पासवर्ड से ज़िंदगी को

लॉग इन करने लगे

सम्बन्धों में जीने की बजाए

जिस्म एक पूंजी बन गया

जो बार बार इन्वेस्ट होता रहा

जिस्म के सम्बन्धों को 

लिव इन रिलेशनशिप का नाम दे

मेट्रो मॉडर्निटी का शिकार हो गए

फ्लाइंग, डायनिंग,क्लब 

पब पार्टी में जवानी खप गई

विकास को पिज़्ज़ा ऑर्डर समझ

विकास पर मर मिटे

विकास सत्ता पर बैठ 

दुनिया घूमता रहा

और रोज़गार डूबता रहा

बाज़ार के मॉल में

सजावट का सामान बना युवा

आधुनिकता के नाम पर

विचार खोलने की बजाए

जिस्म खोलता रहा

आज किश्त के फंदे ने

ज़िंदगी को दबोच लिया है

विकास लाशों की गुफ़ा में

ध्यान लगाए बैठा है!

#युवा #मेट्रो #मंजुलभारद्वाज

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