मंदिर से भभूत लो !
- मंजुल भारद्वाज
प्रकृति भी सुन लेती है
जैसी प्रवृत्ति होती है
उसे वैसी सजा देती है
वर्षो के संघर्ष के बाद
गुलामी से निजात मिली
सब भारतीय बने
संविधान की दृष्टि में
हम भारत के लोग की
दुनिया में हुंकार भरी
देश को गति मिली
विकारी संघ ने सबको
हिंदू मुसलमान बना डाला
एक विकारी ने स्कूल
अस्पताल की बजाय
चुनावी रैली में
श्मशान कब्रिस्तान बनाने का
वादा कर डाला
भेड़ों से पूछा
श्मशान बनना चाहिए की नहीं
भेड़ों ने जयकारा लगाया
हम हिंदू है
हमें स्कूल और अस्पताल नहीं
श्मशान और मंदिर चाहिए
भेड़ों ने भर भर वोट दिया
और बहुमत की हिंदू सरकार बनाई
कोरोना ने कोहराम मचाया
घर घर मसान हो गया
लाशों का ढेर लग गया
पूरा देश श्मशान हो गया
भेड़ें त्राहिमाम त्राहिमाम कर रही हैं
मौत से बचने के लिए
जीवन की गुहार लगा रही हैं
दवा,डॉक्टर ,अस्पताल
खोज रही हैं
बहुमत की सरकार
चुनावी रैली में मस्त है
पदान मंत्री मौत के तांडव में
आज भी चुनावी रैली में
हिंदू मुसलमान कर रहा है
भेड़ों का झुंड हुआं हुआं कर
अपने लिए श्मशान मांग रहा है
विकारी संघ ने ऐसी दुर्गति
देश की कर दी
हिन्दुओं ने भारतीय होने की पहचान छोड़
कुंभ स्नान किया
गर्व से हिंदू कहा
निर्लज्जता की प्रकाष्ठा लांघ दी
आज भी कोरोना से बचने के लिए
मंदिर नहीं अस्पताल जाते हैं
हिंदू हो तो अस्पताल क्यों जाते हो?
मंदिर जाओ
पुजारी से भभूत लो
मोक्ष प्राप्त करो
खूब चंदा दो
मंदिर बनाओ
अस्पताल नहीं
मंदिर हिन्दुओं की आस्था है
मंदिर मोक्ष धाम है
धर्म की राजनीति के
ध्वजारोहण का यही सिला है
अब संविधान नहीं
मंदिर ही अस्मिता है !
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