Tuesday, March 10, 2020

सत्ता के विधाता का नाम है आम आदमी! -मंजुल भारद्वाज

सत्ता के विधाता का नाम है आम आदमी!
-मंजुल भारद्वाज
बेचारगी का भाव
अजर अमर करने वाला
लाचारी सोने पे सुहागा
गिडगिडाने में सिद्धहस्त
धर्म का खेवनहार
है आम आदमी
यही आम आदमी
बेबसी,गरीबी,शोषण के
अमोघ सत्ता सूत्र से
अपने को दृष्टा,सृष्टा
राजनीति के राजसूत्र बताने वाले
सर्वहारा के मार्क्स
अंतिम व्यक्ति की मुक्ति के महात्मा
जन्म के संयोग से अभिशप्त
जनता के मूकनायक आंबेडकर
बेबसी,गरीबी,शोषण से मुक्ति के
हवन में अपने जीवन की आहुति दे
स्वाहा हो गए
पर आम आदमी
अत्याचार,हिंसा,अन्याय की चादर में
सत्ता का केंद्र बनकर
कुम्भकर्ण के निंद्रायोग में समाधिस्त है
सदाचारी विवेक में तपने वाले
स्वघोषित आम आदमी के उद्धारक
क्या
मनुष्य होने की सार्थकता से भागते
पेट भरने को जीवन का मकसद
मानने वाले आप आदमी के
सत्ता मन्त्र जान पाए?
घाघ है आम आदमी
पेट भरने के सुख के लिए
न्याय,अहिंसा,समता,विवेक का
हर पल सौदा करता है
दुनिया का सबसे बड़ा
अवसरवादी है आम आदमी
अच्छे अच्छे विचारक,सत्ताधीश
इसके चक्रव्यहू में घूमते रहते हैं
पर भेद नहीं पाते
आम आदमी पेट भरने के मोक्ष से
कोई समझौता नहीं करता
सत्ता बनती हैं
मिट जाती हैं
आम आदमी का सत्ता सूत्र
बेबसी,गरीबी,शोषण
आदिकाल से आज तक कायम हैं
पेट भरता रहे बस
राजतन्त्र,तानाशाही,लोकतंत्र से
उसे कोई मतलब नहीं
नीति,विधान,संविधान से
कोई सरोकार नहीं
पेट भरने की दरकार है
आम आदमी ही है
सत्ता का विधाता
जो डांट डपट,दमन
तोप,टैंक,अणुबम से नहीं
बेचारगी,बेबसी और लाचारी से
घूमाता है सत्ता का चक्र
जिसमें पिसकर चले जाते हैं
अंतिम व्यक्ति के महात्मा
सर्वहारा के मसीहा
जन्म संयोग के मुक्तिदाता
कायम रहती है
आम आदमी की भूखी भीड़
विवेक,विधि,विधान को बेचकर
मनुष्य होने की सार्थकता से
भागती अवसरवादी भीड़ कानाम है आम आदमी!

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