Monday, March 9, 2020

इंतज़ार करता रहा! -मंजुल भारद्वाज

इंतज़ार करता रहा!
-मंजुल भारद्वाज
उलटी, सीधी, लेटी
बैठी,उठी,खड़ी
देह पर
कल खूब लिखा
और
कहा गया
देह को महिला समझ
खूब प्रलाप हुआ
साहित्य को रचने वाले
सत्ता के साथ रहे
बस उनकी कलम से
देह से मनुष्य होने का
इतिहास रचता
संविधान का परचम लहराता
शाहीन बाग़ गायब रहा
राष्ट्रवाद के उन्माद से परे
एक कौने में खड़ा
संविधान पूछता रहा
शाहीन तो मेरे लिए सड़क पर है
बस मैं सीता और गीता का
इंतज़ार करता रहा !


#संविधान #महिलादिवस #मंजुलभारद्वाज

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