Saturday, January 4, 2020

माटी - मंजुल भारद्वाज

माटी
 - मंजुल भारद्वाज

गर्भ में धारण कर
बीज में प्राण
ओतती है माटी
गुणसूत्र की तासीर को
ताप से उष्मित
नमी से सींचती है माटी
निराकार को आकार
देती है माटी
आकार साकार हो
निराकार होता है
निराकार को अपने
अंदर  समा  लेती है  माटी !


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