Saturday, November 2, 2019

गंगा : कल,आज और कल -मंजुल भारद्वाज

गंगा : कल,आज और कल
-मंजुल भारद्वाज
कल ...
गंगा ऊँची चोटी से निकलती
एक निर्मल धारा
गंगा विविध धाराओं का संगम
गंगा एक संवेग,प्रवाह का आवेग
गंगा एक आस्था
निर्मल और शुद्दता का प्रमाण
गंगा एक सभ्यता, एक संस्कृति
गंगा एक पौराणिक कथा
गंगा भारत का अस्तित्व
गंगा भारत के होने का साक्ष्य
गंगा भारत के मैदानों की जननी
गंगा भारत की उपजाऊ शक्ति
गंगा भारत की रंगों में दौड़ने वाला लहू
गंगा भारत की आत्मा
गंगा मोक्ष का द्वार
परमात्मा से मिलन
गंगा मुक्ति का मार्ग
गंगा शक्ति का स्त्रोत
गंगा आदि और अंत
गंगा प्रेम,ममत्व और जीवन दायिनी
गंगा यानी भारत और भारतीयता!

गंगा आज ...
मात्र एक बहती नदी
गंगा कर्मकांड का बहाना
गंगा हिंदुत्व का दोहन
गंगा एक पाखंड
विकास की गंदगी के लिए
गंगा एक गंदा नाला
132 करोड़ देशवासियों की घर से निकाली हुई
अपने अस्तित्व के लिए
दर दर भटकती हुई ‘माँ’
गंगा लुटेरों के लिए एक खजाना
गंगा पाखंडियों के लिए
सत्ता पाने का चुनावी जुमला!

गंगा कल ..
एक विलुप्त हुई
पौराणिक कथा
अपनी ही संतानों द्वारा
विकास की बलि चढ़ाई गयी
भारत की आस्था
भारत की आत्मा!
....
#गंगा #मंजुलभारद्वाज

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