स्पंदन
-मंजुल भारद्वाज
कुम्हार ने काल को पकड़
देह माती को रौंद डाला
एक एक कण में
तत्व प्राण प्रतिष्ठा कर
अपने होने का आधार दिया
व्यवहार की भट्टी में तपा
खरा होने का अहसास भरा
प्रमाण की कसौटी पर परख
सृजनकार ने सृजन शिल्प साध
उर्जा,प्रवाह,तरंग विज्ञान को
कला सौन्दर्य का रूप दिया
सत्व जल से सिद्ध कर
कलाकार को आकार–निराकार
निराकार –आकार कलात्मक प्रक्रिया में
सिद्धहस्त किया!
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