सत्ता में संख्या की महिमा!
-मंजुल भारद्वाज
संख्या की बड़ी महिमा है
लोकतंत्र में संख्या
सत्ता की चाबी है
चाहे वो भेड़ों की क्यों ना हो
संख्या से सत्ता
सत्ता से ताक़त
सत्ता की ताक़त करिश्मा करती है
चोर को चौकीदार बना देती है
सत्ता पिपाशु को संत
तानाशाह को उदार
लोभी और कामी को फ़कीर बना देती है
सत्ता इतना दु:साहस भर देती है
कोई भी विकारी
लकीरों पर संसद में प्रवचन देता है
जड़ों को काटने का संकल्प ले
लकीरों को बड़ा करने का प्रपंच रचता है
लोक युक्ति की चादर ओढ़
ज्ञान का सागर बनता है
लोकतंत्र में संख्या ज्ञानोदय का
सूक्त वाक्य है
संख्या की महिमा
लोकतंत्र में अपरंपार है!
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