जिजीविषा
-मंजुल भारद्वाज
जिजीविषा
जीने की हूक
सार का अर्थ सार्थक
सार्थक होने का सबब
कल्पनाओं का उड़ान भरना
मन,प्रतिज्ञा और कर्म
एक दिशा और उर्जा
तालमेल और कर्मठता
सृजनात्मक उर्जा का
नए आसमान का भ्रमण कर
साकार होकर धरा पर लौटना
अस्तित्व का दीपस्तम्भ
आत्मप्रकाश से पीढ़ियों को
प्रकाशित करता हुआ एक गीत
खूबसूरत है जिंदगी...
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