अनहद नाद
... मंजुल भारद्वाज
नाद है यह अनहद
अनहद की है नाद
अनहद नाद ,मेरा
तुम्हारा ,हम सबका प्यारा
न्यारा नाद ,अनहद नाद
सचेत से परे अचेत
सत्व और अस्तित्व
होने ,अनहोने के परे
का नाद ,अनहद नाद
लिप्त ,अलिप्त
सुप्त ,विलुप्त
जागा सोया ,खोया पाया
दिव्यता के सहज भाव
का नाद , अनहद नाद
रमता ,बसता
लिपटा पसरा
सृजन का स्त्रोत
निरंतर गूंजता रहता
नाद , अनहद नाद
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#अनहदनाद #मंजुलभारद्वाज
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