Tuesday, July 23, 2019

चाँद -मंजुल भारद्वाज

चाँद 
-मंजुल भारद्वाज
 
दिलरुबा है चाँद 
सनम है चाँद 
सुकून है चाँद 
तन्हाई है चाँद 
मिलन का साक्षी
जुदाई का गवाह है चाँद 
वफ़ा की चादर 
बेवफ़ाई का दामन है चाँद 
दिलों का अरमा 
कशिश है चाँद 
कहीं आग लगाता है चाँद
कहीं प्यास बुझाता है चाँद
कहीं वनवास
कहीं ईद है चाँद 
हुस्न,जमाल,खूबसूरती 
का पैमाना है चाँद
कलाओं का कारीगर 
सौन्दर्य का शास्त्र है चाँद 
सियाह रात के सूनेपन में, 
रौशनी का सबब है चाँद
आशिकों का राजदार,साथीदार,
उनकी ख़ामोशी का गुन्हेगार है चाँद 
सूर्य की वसुंधरा पर 
परछाई है चाँद 
मेरे भीतर, मेरे सूर्य का 
आत्म प्रकाश है चाँद 
एक बुद्ध के आत्म ज्ञान का 
प्रकाश और साक्ष्य है चाँद!...

#चाँद #बुद्ध #मंजुलभारद्वाज

No comments:

Post a Comment

कभी फुर्सत मिले तो सोचना ! -मंजुल भारद्वाज

 कभी फुर्सत मिले तो सोचना ! -मंजुल भारद्वाज तुम स्वयं  एक सम्पति हो  सम्पदा हो  इस पितृसत्तात्मक व्यवस्था में  कभी पिता की  कभी भाई की  कभी ...