रक्षा - बंधन
-मंजुल भारद्वाज
बाज़ार भावनाएं बेच कर
जेब खाली करवाकर
मीठे यानि मुनाफ़े का
जश्न मना रहा है !
रक्षा – बंधन
सुना है संस्कार है
किस बात का
जुमलों के भावनात्मक दोहन का
भूखी रहेगी
अन्नपूर्णा के जुमले का
एक एक पैसे को मोहताज़ रहेगी
लक्ष्मी के जुमले का
सम्पति से बेदखल कर
दो दो घर के जुमले का
अनपढ़ रहेगी
पर सरस्वती के जुमले का !
आज फ़िल्मी उत्सव है
भैया मेरे राखी के
बंधन को निभाना
जब भैया राखी के बंधन को निभाता है तो
भारत में हर 2 मिनट में
बलात्कार कौन करता है?
अरे आज ज़माना बदल गया है
देश बदल गया है
हमारे संस्कार, संस्कृति पर
दुनिया गर्व करती है
चंद्रयान उतार दिया चाँद पर
और कितना विकास चाहिए
अरे कुछ देश द्रोही
हमारी संस्कृति के दुश्मन हैं
भारत में बहन सुरक्षित है
यह हिन्दू राष्ट्र है
तो मणिपुर कहाँ है ?
क्या मणिपुर भारत में नहीं है ?
क्या बदला है
तब सुना है दुर्योधन ने भरी सभा में
द्रोपदी के साथ ...
आज मणिपुर में
विकास ने
संस्कार ने
भारत के बेटियों को
निर्वस्त्र कर सरे आम घुमाया
दुनिया ने देखा
पता नहीं दुनिया
गर्व कर रही है
या नहीं ?
जब तुम पितृसत्तात्मक
पाखंडों को संस्कार का
उत्सव समझ
फ़िल्मी गानों पर सुबक रहे हों
तब हर दो मिनट में
3 बलात्कारों की चीख सुनना
वैसे जिसको सुनाई न दे
दिखाई ना दे
वही संस्कारी होते हैं
अन्याय के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने वाले
देशद्रोही !
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