मंजुल भारद्वाज कविता कोश - Manjul Bhardwaj Poetic Vision
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Monday, March 13, 2023
कलम - मंजुल भारद्वाज
कलम
- मंजुल भारद्वाज
क किस्सागोई
ल लोकतंत्र
म
मुफीद
कलम वो किस्सागोई थी
जो लोकतंत्र के लिए
मुफीद हो !
क अब भी कायम है
बस ल और म ने
अपनी जगह बदल ली
कलम अब कमल हो गई!
अब किस्सागोई
लोकतंत्र के लिए नहीं
सत्ताधीश की मुफीद हो गई!
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