Thursday, February 23, 2023

बुद्ध और गाँधी की विरासत वाला राष्ट्र या भेड़ों का झुण्ड! -मंजुल भारद्वाज

 बुद्ध और गाँधी की विरासत वाला राष्ट्र 
या भेड़ों का झुण्ड!

-मंजुल भारद्वाज 
हिंसा, अहिंसा 
मानव और पशु के बीच का अंतर 
पशुता जब हावी होती है 
तब युद्ध निश्चित है 
सारे ईश्वर वध को जायज मानते हैं 
धर्म उसको ब्रह्मास्त्र 
प्राण देह त्याग देता है 
सभ्यताएं भूतकाल की खूंटी पर टंगी रहती हैं 
मनुष्य को पशुता में लपेटे हुए
मनुष्य भूत की छाया से बाहर क्यों नहीं आता? 
क्यों नहीं भविष्य को हिंसा मुक्त बनाता?
क्या भेड़ों का राष्ट्र होता है?
या 
राष्ट्र विवेकशील मनुष्यों का जनसागर है 
जो प्रेम और त्याग से बंधा है 
संसार की सम्मत कृति है संस्कृति 
जिसमें विकारों का कोई स्थान नहीं होता 
विचार के सूर्य से दमकता चैतन्य 
जहाँ कोई अँधेरा नहीं होता 
भारत ज्ञान का सरोवर है 
अहिंसा,बंधुत्व,प्रेम,त्याग 
इसके सूत्र हैं 
मनुष्य रूप में जिसे बुद्ध ने साधा 
राजनैतिक डोर में गांधी ने पिरोया
गांधी ने हिंसा और अहिंसा के 
बाहरी टकराव को 
मनुष्य के भीतरी अंतर्द्वन्द्व में बदला
क्या युद्धौन्माद की दहलीज़ पर खड़ा राष्ट्र 
बुद्ध और गांधी की चेतना से रौशन होगा?
पशु और मनुष्य के अंतर्द्वन्द्व में 
मनुष्य विजयी होगा 
या 
हिंसक पशु मनुष्यता को लीलता रहेगा? 
.. 

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