तर्कहीन सत्ता
-मंजुल भारद्वाज
क्या दुनिया को वाक़ई
इंसान और इंसानियत पर भरोसा है?
क्या दुनिया वाक़ई विज्ञान को मानती है?
आपका जवाब हाँ है
तो पूरी दुनिया में एक देश ऐसा बता दो
जहाँ तर्कहीन सत्ता पोषित
शोषण के अड्डे मौजूद नहीं हैं
जो दुनिया का हक़ मारकर
दान की खैरात बाँटते हैं
न्याय नहीं परोपकार की
भीख देते हैं !
प्रकृति सृजित दुनिया
कैसे जियेगी
कैसे चलेगी ?
यह मनुष्य तय करता है
प्रकृति के साथ !
पर मनुष्य की लालच
वर्चस्ववादी आत्महीन प्रवृति
प्रकृति के साथ सभी प्राणियों को
गुलाम बनाने में लग जाती है
वर्चस्ववादी आत्महीन प्रवृति का
नरसंहारक,शोषक चेहरा नज़र ना आये
शोषित कहीं बगावत ना कर दें
इसलिए प्रकृति की समग्र अदृश्य शक्ति को
ईश्वरीय नाम देकर
अन्याय,शोषण,ग़ुरबत की इबारत लिखी जाती है
उस इबारत पर बड़ी धूर्तता से
ईश्वर,अल्लाह और यीशु के नाम लिख दिए जाते हैं !
बड़ी बेशर्मी और निर्लज्जता से
सरेआम पूरी दुनिया में
आदिकाल से अब तक
मनुष्य की वर्चस्ववादी आत्महीन प्रवृति का
राम,अल्लाह,यीशु के नाम से
शोषणचक्र बदस्तूर ज़ारी है....
No comments:
Post a Comment