मंजुल भारद्वाज कविता कोश - Manjul Bhardwaj Poetic Vision
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Monday, February 13, 2023
आपकी नज़र! - मंजुल भारद्वाज
आपकी नज़र!
- मंजुल भारद्वाज
आँखों के समंदर में डूबना
आशिक़ों की नियति है
इश्क़ के समंदर की थाह नहीं होती
विरह
के तपते रेगिस्तान में
शबनम सी पसीजती है मोहब्बत
सूखे शैलाब के किनारे नहीं होते
इश्क़ के ज़ेर-ओ-ज़बर
ज़माना मिटा ना सका
जितना मिटाया
इश्क़ और बढ़ा
दिल की इबारत पर लिखा
जिसने पढ़ा
वो जी गया
बाक़ी जिस्म का बोझ
ताउम्र ढ़ोते रहे
नफ़रत की हुकूमतों से कह दो
आशिक़ों की जमात
शमा परवाने की होती है
खुदको जला
दुनिया को रोशन करती है!
#नज़र
#मोहब्बत
#इश्क़
#मंजुलभारद्वाज
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