Saturday, December 31, 2022

पैसा और अर्थ -मंजुल भारद्वाज

 पैसा और अर्थ 

-मंजुल भारद्वाज 
पैसा और अर्थ 
जीवन का अर्थ हो 
जीवन में अर्थ हो 
ये दृष्टि स्पष्ट हो !
वो जो आज अनपढ़ है 
सरल है, सहज है 
जो आज पढ़ा लिखा है 
वो संकरित,संकुचित,बनावटी,
असहज,पेचीदा 
और उलझा हुआ है
जो जीवन का अर्थ खोजता है 
वो साधु 
जो जीवन में अर्थ खोजता है 
वो व्यापारी!
भारत में लक्ष्मी पूजन 
परम्परा या पाखंड 
दुनिया में गरीब देशों की 
सूची के आकंड़े 
इस सच को रोशन करते हैं!
अध्यात्म की आत्मा 
अमेरिकी शरीर और श्रृंगार
कितना बेढंगा है 
ये विकास !
सरस्वती के पुजारी 
वैज्ञानिक युग में 
भिखारी !
ज्ञान वान ठीक है 
पर बिना पैसे जीवन नहीं 
जिया जाता है की शिक्षा देने वाले पालक 
उनकी युवा नस्लें 
आज जीवन को विज्ञापन समझती हैं 
अपना हुनर बेचकर पैसा कमाती हैं 
पैसों से चारदीवारी खरीदकर 
सम्बन्धों का सौदा करती हैं 
पैसों से सुविधा खरीदती हैं 
सुख के लिए ताउम्र भटकती हैं !
जीवन के महासागर में 
पैसों की नाव में पेट भरकर 
मोक्ष की राह देखती हैं !
आज भारतवर्ष की सन्तान
पैसों की चमक और चकाचौंध में 
जीवन का अर्थ नहीं समझ पाती
भारत की ज्ञान सम्पदा पर
जल,जंगल,ज़मीन को 
नोच खसोट कर पृथ्वी को 
नंगा करने वाले 
अमेरिकी विकास का मातम मनाती हैं !
...

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