यह समय तुम्हारा है
-मंजुल भारद्वाज
पलों ने कह दिया
वो तुम्हारे टुकड़ों को जोडेंगे नहीं
अपितु टुकड़ों के टुकड़ों को पीसकर
एक नई माटी बना देंगे
इस बार इस माटी के
शिल्पकार भी तुम
आकार भी तुम
तुम्हारी दृष्टि
तुम्हारी सृष्टि
यही तो है
आत्म मंथन
आत्म खोज
अध्यात्म की परिणति
सृजनकार वक्त गढ़ते हैं
काल को समय बना देते हैं
यह समय तुम्हारा है !
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